मेवाड की शान पैंथर को संरक्षण प्रदान किया जाए - कोठारी

By :  vijay
Update: 2024-10-16 14:49 GMT

भीलवाडा विधायक अशोक कुमार कोठारी ‌द्वारा वन मंत्री और मुख्यमन्त्री को पत्र लिखकर तेंदुआ (पैंथर ) के सरंक्षण की मांग की है। विधायक कोठारी द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत लुप्तप्राय जानवर तेंदुआ (पैंथर ) जिसकी आबादी दिन ब दिन कम होती जा रही है, उसके संरक्षण हेतु सरकार को विशेष कदम उठाने की मांग की है। कई बार तेंदुए वन क्षेत्रों से सटे मानव बस्तियों में घुस आते हैं लेकिन ऐसे उदाहरण भी हैं, जहाँ मनुष्य और तेंदुए शांतिपूर्ण तरीके से सहअस्तित्व में है। कुछ तेंदुए मानव बस्तियों या कृषि क्षेत्रों में भटक जाते हैं तो मनुष्यों द्वारा मार दिये जाते हैं और कुछ दुर्घटनाओं में जान गंवा बैठते हैं।

विधायक कोठारी ने पत्र में यह लिखा कि वर्ष 2017-18 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री द्वारा प्रोजेक्ट लेपर्ड के रूप में 7 करोड के बजट की घोषणा की थी उसके पश्चात कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया l पैंथर आज न केवल एक लुप्तप्राय प्राणी है बल्कि यह पर्यटन को आकर्षित करने का भी बहुत अच्छा माध्यम बन गया है। आज जयपुर में झालाना और पाली मे सवाई अभ्यारण इसके सफल उदाहरण है उसी तरह भीलवाडा मैं भी मांडल ,आसीन्द और माण्डलगढ़ बिजौलिया क्षेत्रों में भी पैंथर की आवक रहती है। कई बार भीलवाड़ा के बाहर राजसमन्द और कुम्भलगढ़ क्षेत्रों से भी पैंथर का प्रवेश भीलवाड़ा में हो जाता है। अगर भीलवाडा जिले में बिजौलिया के जंगलों में पैंथर हेतु अभ्यारण्य बनाया जाता है तो उस क्षेत्र में होटल व्यवसाय को बढावा मिलेगा और साथ ही पैंथर की आबादी को भी सुरक्षित रखी जा सकेगी। विधायक कोठारी ने यह भी लिखा कि पैंथर मुख्यतः छोटे जानवरों जैसे बकरी, भेड़, कुत्ते, बिल्ली आदि का शिकार कर अपना जीवनयापन करता है परंतु कई बार इस जीव को आदमखोर / Man eater की संज्ञा दी जाती है, यह गलत तथ्य है वास्तव में यह एक मांसाहारी जीव है जो प्रायः भीड़भाड़ या किसी भी बड़े जानवर की मुठभेड़ से दूर रहता है। पैंथर को नरभक्षी या आदमखोर की संज्ञा दिए बिना इसके संरक्षण हेतु आवश्यक क़दम उठाने चाहिए। इस हेतु भीलवाड़ा विधायक ने कुछ सुझाव सरकार को दिए ताकि पैंथर को सुरक्षित किया जा सके और इनकी आबादी भी बढाई जा सके l

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