प्रतापधन मुर्गी से बढ़ेगी जनजातीय किसानों की आमदनी -डॉ. यादव

By :  vijay
Update: 2024-10-24 10:34 GMT

 भीलवाड़ा  कृषि विज्ञान केन्द्र पर अनुसूचित जनजाति केपिटल योजनानतर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एवं आदान वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी. एम. यादव ने बताया कि उन्नत मुर्गीपालन द्वारा किसान भाई अधिक आय प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे साथ ही प्रतापधन मुर्गी त्रिसंकरण से बनी हुई है जिससे किसानों को अण्डा एवं माँस से अधिक आय प्राप्त होगी। डॉ. यादव ने मुर्गियों की उन्नत नस्लें, मुर्गियों का आहार एवं आवास की जानकारी देते हुए प्रमुख रोग एवं रोग प्रबन्धन की जानकारी से अवगत कराया।

परियोजना प्रभारी डॉ. के. सी. नागर ने मुर्गियों का सर्दियों में बचाव एवं हरा चारा उत्पादन तकनीकी के बारे में बताया। डॉ. नागर ने प्रतापधन नस्ल की मुर्गी स्थनीय जलवायु के अनुकूल होने से किसानों को अधिक रोग एवं बीमारियों कम होने से किसानों को अधिक फायदा होगा साथ ही इसके पैरों की लम्बाई स्थानीय मुर्गी से अधिक होने के कारण कुत्ता व बिल्ली से सुरक्षा प्रदान करती है। इस परियोजना के तहत् जनजातीय परिवारों को उन्नत गेहूँ के बीज, सब्जियों की पौध एवं अन्य प्रदर्शन भी दिये जायेंगे जिससे किसानों की आजीविका को सुदृढ़ किया जा सकेगा। तकनीकी सहायक अनिता यादव ने प्रतापधन मुर्गी से 160 अण्डे प्रतिवर्ष प्रति मुर्गी एवं छः से आठ माह के मुर्गी का वजन 2.0 से 2.5 किग्रा व मुर्गे का वजन 3.0 से 3.5 किग्रा तक हो जाता है जो देशी मुर्गी से चार गुना ज्यादा अण्डा उत्पादन एवं 40-50 प्रतिशत शारीरिक वजन ज्यादा रहता है। प्रतापधन मुर्गी इकाई से 30-35 हजार रूपये प्रतिवर्ष प्रति किसान की आमदनी मिलेगी। सेवानिवृत्त सहायक कृषि अधिकारी नन्द लाल सेन ने बताया कि माण्ड़लगढ़ पंचायत समिति के रात्याखेड़ी गाँव के 25 किसानों को खेती के साथ-साथ उन्नत मुर्गीपालन में क्षमता वर्धन के साथ 35 चूजे प्रति किसान निःशुल्क दिए गए। श्री सेन ने मुर्गी आवास को साफ-सुथरा रखने के साथ विद्युत की व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता संजय विश्नोई ने कार्यक्रम का संचालन एवं किसानों का पंजीयन किया।

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