" भगवान के जीवन में किया गया हर कार्य प्रेरणा प्रदान करता है -- संत दिग्विजय राम
भीलवाड़ा/गंगापुर आज भी विश्व कृष्ण के प्राकट्य का उत्सव मना रहा है कल्पना करें कि जिस समय भगवान ने अवतार लिया उस समय क्या स्थिति रही होगी यह कल्पना से भी परे हैंl स्वामी श्री रामचरण जी महाराज ने कृष्ण को ब्रह्म का अवतार माना हैl विज्ञान आज प्रकृति के सामने नत मस्तक होता है यह सब उसे परमपिता परमात्मा की ही कृपा है l यदि कृष्ण ब्रह्म नहीं होते तो यमुना जी कैसे एक नवजात शिशु को रास्ता देती l यमुना जी पर ब्रह्म को प्रसन्न होकर रास्ता देती है इससे स्पष्ट होता है कि कृष्ण स्वयं ब्रह्म थे l इस प्रकृति को भगवान यानि परमात्मा के अलावा कोई नहीं चला सकता संसार में पर ब्रह्म की शक्ति सर्वत्र है वह आकार में अलग-अलग हो सकता है l जीवन में भगवान की कथाएं आनंद देती हैं कथाओं से व्यक्ति जीवन जीने की कला सीखता है l जो जिस भाव से प्रभु को याद करता है प्रभु उसी रूप में उसे दर्शन देते हैं जीवन में जीव के पुण्य ही काम आते हैं कब कौन सा पुण्य फल दे दे यह मालूम नहीं होता हम दूसरों की दुआओं से जीते हैं कभी यह अहंकार नहीं करना चाहिए कि सब मेरे भाग्य का ही मिल रहा है हमेशा दूसरों की दुआएं भी काम करती हैं इसलिए लेना है तो दुआएं लो बद्दुआ कभी किसी की नहीं लेना चाहिए l व्यक्ति के जीवन में थोड़े कष्ट आने पर वह सोचता है कि प्रभु की कृपा नहीं है परंतु कभी-कभी जीवन में विपदा भी भक्ति की ओर अग्रसर करती हैं l रिश्ते अच्छे हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं दुख हो या सुख नाम का स्मरण करते रहना चाहिए भगवान भाव के भूखे हैं यह बात राधा कृष्ण वाटिका,गंगापुर में मुख्य जजमान नाथू लाल मुंन्दडा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिन गुरुवार को परम श्रद्धेय रामसनेही संत दिग्विजय राम महाराज ने अपने मुखारविंद से कही
आज कथा में भगवान कृष्ण के विशाल छप्पन भोग लगाया गया भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत की विशेष झांकी सजाई गई,
27 दिसंबर को उद्धव चरित्र एवं रुक्मणी विवाह धूमधाम से मनाया जाएगा कथा 28 दिसंबर तक दोपहर 1 से 5 बजे तक आयोजित होगी
मीडिया प्रभारी महावीर समदानी में जानकारी देते हुए बताया की कथा में महाराज श्री ने विस्तार से चर्चा करते हुए कहां कि शास्त्र कहते हैं ना भगवान पत्थर में है ना लकड़ी में है, ना मिट्टी में है, भगवान तो भक्त के भाव में है, जो जिस रूप में याद करता है भगवान उसको उसी रूप में कृतार्थ करते हैं l यह घर यानी शरीर छोड़ने होता है तो बड़ा कष्ट होता है यह संसार जीव का घर है और भगवान का घर ससुराल ,तो ससुराल एक दिन जाना ही पड़ता है यह जीवन का कटु सत्य है l श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजा करके प्रकृति पूजन का संदेश दिया है वह यह मानते थे कि यह प्रकृति ईश्वर का स्वरूप है इसलिए श्री कृष्ण द्वारा इंद्र की पूजा रोक कर गोकुल वासियों को गोवर्धन की पूजा करने का संदेश दिया था गोवर्धन प्रकृति है और प्रकृति पूजन का संदेश भगवान श्री कृष्ण देते हैं आज भागवत कथा में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन एवं भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र का मान मर्दन प्रसंग श्रवण कराया