लाल टमाटर ने किसानों को कर दिया बर्बाद, 2 रुपए किलो भी नहीं मिल रही है कीमत, फसल को करने लगे नष्ट
भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। कुछ दिन पहले तक आसमान छू रहे टमाटर के दाम अचानक जमीन पर आ गए हैं। इससे किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। जिले में टमाटर के दाम घटकर दो रुपये किलो से भी कम रह गए है। किसानों का कहना है इससे उत्पादन लागत निकलना तो दूर, उन्हें तोडऩे और परिवहन का खर्च ही नहीं निकल रहा है। अचानक दाम गिरने का कारण बंपर आवक होना बताया जा रहा है। ऐसे में कई किसान अपनी फसल को हंकवा रहे है। जिससे उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है।
भीलवाड़ा कृषि उपज मण्डी में थोक विक्रेता मथुरालाल ढीबरिया ने बताया कि भीलवाड़ा जिले के मंगरोप, मेजा, झोंपडिय़ा, कोदूकोटा, नंदराय इलाके के साथ ही मध्यप्रदेश और अन्य क्षेत्रों से बड़ी मात्रा में टमाटर की आवक हो रही है। ऐसे में 25 किलो का कैरेट मात्र 40 से 50 रुपए के बीच बिक रहा है। जिससे किसानों को मण्डी में लाने तक का भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है, फसल की उपज की तो दूर की बात उनकी मेहनत ही बेकार जा रही है।
100 रुपये प्रति किलो पहुंच गए थे रेट
प्रत्येक कैरेट में 24 से 25 किलो टमाटर होते हैं। कुछ समय पूर्व टमाटर के दाम 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे। जिससे किसानों को फायदा हुआ था। लेकिन इस वर्ष टमाटर का रकबा बढ़ा। मौसम अनुकूल रहा और मावठा नहीं गिरा तथा पाला भी नहीं पड़ा। इससे हर जगह टमाटर का उत्पादन भरपूर हुआ। जिले में मेजा, कोदूकोटा, नंदराय, मंगरोप, कीरों की झोंपडिय़ा के साथ ही अन्य गांवों से टमाटर की आवक बढ़ी है वहीं मध्यप्रदेश से भी टमाटर आ रहे है। ऐसे में टमाटर के दाम गिर गए है। मण्डी में जहां 2 रुपए किलो से भी कम में टमाटर उपलब्ध है जबकि बाजार में यही टमाटर 15 से 20 रुपए प्रति किलो में बेचे जा रहे है।
खेतों में ही सड़ रहा टमाटर
जनवरी में जहां दाम नहीं मिलने से किसानों ने टमाटर को फेंकने के साथ ही मवेशियों को खिला दिया था, वही मार्च में भी यही स्थिति बन रही । भाव नहीं मिलने से खेतों में ही सड़ रहा है तो किसान मवेशियों को भी खिला रहे हैं। जबकि झोंपडिय़ा ग्राम के रहने वाले कालुसिंह, भगवान रेगर और मंगरोप के रामलाल पूर्बिया ने टमाटर की कीमतों को देखकर लाने ले जाने किराये और खेत से टमाटरों को तोड़कर जमा करने में लगनी वाली मेहनत से आहत होकर अपनी टमाटर की फसल को हंकवा कर नष्ट कर दी है। यह तो मात्र उदाहरण है। ऐसे कई और किसान है जो टमाटर की कीमत नहीं मिलने से परेशान है और कर्ज में डूबते नजर आ रहे है।