बीगोद में मोहर्रम का जलसा निकाला
आकोला (रमेश चंद्र डाड)बीगोद कस्बे में स्थानीय मुस्लिम समुदाय की हुसैन कमेटी द्वारा मोहर्रम के पर्व पर ताजिया निकाला। मोहर्रम का ताजिया निर्धारित समय पर हुसैन चौक से परम्परागत तरीके से जलसे के रूप मे रवाना हुआ।जिसके साथ सैकड़ों महिला पुरूष थे।जलसा हुसैन चोक से रवाना हो कर मक्कड़ मस्जिद,रामा का खूंटा, पुराना बाजार, बालाजी चौक,जैन मंदिर मार्ग, पुराना पुलिस थाना रोड़ होते हुए करबला पर पहुंचा जहां मोहर्रम को बनास नदी में ठंडा किया गया।
सदर अब्दुल गफूर लोहार ने बताया है कि हुसैन कमेटी के निदैशन मे अखाड़ा का मार्ग में जगह जगह प्रदर्शन किया गया। हायदोश खेला गया । मोहर्रम के जलसे में प्रशासनिक अधिकारी डिप्टी, तहसीलदार, स्थानीय थानाधिकारी सहित पुलिस जाप्ता साथ में थे।
कमेटी के सदर 70 वर्षीय अब्दुल गफूर ने बताया है कि यहां प्राचीन काल से ही मोहर्रम का जलसा निकल रहा है।
यहां पूर्व में मेरे बाप दादा के समय 5 मोहर्रम निकलते थे। मेने तीन मोहर्रम निकलते देखें है।वर्तमान में यहां कुछ वर्ष से एक ही मोहर्रम निकाला जा रहा है।
मुहर्रम इस्लामी कलैंडर का पहला महीना माना जाता है।जो शिया मुसलमानों के लिए शोक का समय होता है। इराक के कर्बला में 61 हिजरी- 680 ईस्वी से इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मातम का पर्व मनाया जाता आ रहा है।।इमाम हुसैन, पैगंबर मुहम्मद के नाती थे। वे अत्याचारी शासक यजीद के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए।युद्ध में इमाम हुसैन शहीद होगये। जिस दृष्टि से मोहर्रम का पर्व मनाकर मातम करते हैं।
हज़रत अली असगर की शहादत - शब ए असगर इस दिन लोग अली असगर की तड़प और इमाम हुसैन के सब्र के रूप में मातम करते हैं।