भीलवाड़ा। जिले की एक सहकारी समिति में किसान के साथ खुलेआम लूट और मनमानी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद न तो प्रशासन सक्रिय नजर आ रहा है और न ही बैंक तंत्र की ओर से कोई ठोस कदम उठाया गया है।
पीड़ित किसान सत्यनारायण आचार्य पुत्र रामलाल आचार्य ने सहकारी समिति दाँतड़ा में अपना कृषि लोन जमा करवाया था। किसान के अनुसार उसका कुल बकाया लोन अमाउंट मात्र ₹1,25,000 था, लेकिन समिति संचालकों द्वारा उससे ₹1,28,000 की राशि वसूल ली गई।
आरोप है कि सहकारी समिति दाँतड़ा के संचालक देवीलाल कुमात और धनराज कुमात ने किसान से लोन राशि से तीन हजार रुपये अधिक नकद लिए। इसके बावजूद किसान को केवल ₹1,25,000 की ही रसीद दी गई। इससे स्पष्ट होता है कि अतिरिक्त राशि की अवैध वसूली की गई और उसका कोई रिकॉर्ड नहीं दिखाया गया।
मामला यहीं नहीं रुका। जब किसान सत्यनारायण आचार्य ने गुलाबा ब्रांच में जाकर पासबुक एंट्री करवाई तो उसमें जमा राशि कम दर्ज पाई गई। इससे यह साफ हो गया कि किसान से ज्यादा पैसे लिए गए, लेकिन रिकॉर्ड में कम राशि दर्शाई गई।
पीड़ित किसान ने बैंक कर्मियों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। किसान का कहना है कि जब वह गुलाबपुरा ब्रांच पहुंचा तो वहां मौजूद बैंक कर्मचारियों ने उसके दस्तावेज फेंक दिए और उसे यह कहकर लौटा दिया कि तीन दिन बाद आना। इस व्यवहार से किसान खुद को अपमानित और असहाय महसूस कर रहा है।
न्याय की तलाश में किसान भीलवाड़ा तक पहुंचा, लेकिन वहां भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। न तो किसी अधिकारी ने मामले की गंभीरता को समझा और न ही किसी प्रकार की जांच शुरू की गई।
इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक न कोई जांच हुई है, न किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई है और न ही पीड़ित किसान को कोई राहत मिली है। प्रशासन और बैंक तंत्र की यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
पीड़ित किसान सत्यनारायण आचार्य आज न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है और उसने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
