उदयपुर और राजसमंद जिलों के वन क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी
उदयपुर और राजसमंद जिलों के वन क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी मिली है। टाइगर रिजर्व बनने से मेवाड़ में भी रोजगार का इजाफा होगा।
उदयपुर और राजसमंद जिलों के वन क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरीवीरों की धरा मेवाड़ में अब टाइगर की दहाड़ आने वाले कुछ ही महीनों में सुनने को मिलेगी। रोमांचित करने वाली यह खुशखबरी यहां के पर्यटन विकास में मील का पत्थर साबित होगी। वहीं, मेवाड़ में भी रोजगार का इजाफा होगा।खबर के मुताबिक, राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ वन्य क्षेत्र को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना यानी नेशनल टाइगर कंजरवेशन प्रोजेक्ट की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। यह राजस्थान का छठा बाघ संरक्षण क्षेत्र होगा। राज्य का प्रमुख बाघ संरक्षण क्षेत्र सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर में स्थित है, जिसमें 2022 की पशुगणना के अनुसार 120 से अधिक टाइगर हैं।अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान दूसरे नंबर पर है। कोटा जिले में मुकुंदरा हिल्स और बूंदी का रामगढ़ विषधारी भी धीरे-धीरे टाइगर रिजर्व के लिए विकसित हो रहे हैं। धौलपुर-करौली वन क्षेत्र को भी स्वीकृति मिल चुकी है। अंतिम स्वीकृति मेवाड़ के कुंभलगढ़ वन क्षेत्र को दी गई। इसमें उदयपुर जिले का सायरा वन क्षेत्र शामिल किया गया है।सायरा रेंज की 13,218 हेक्टेयर वन भूमि में से 2,100 हेक्टेयर भूमि पर टाइगर रिजर्व का कार्य होगा। पर्यटन विकास के लिए निर्मित मेवाड़ कॉम्प्लेक्स में दिवेर, रावली टॉडगढ़, खामली घाट, गौरम घाट, फुलाद वन रेंज कुंभलगढ़ टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।