हाय रे महंगाई: अनाज, तेल, सब्जी सब महंगे; खाना-पीना मुहाल, निजात के लिए अपना खर्चा काटने को मजबूर आम आदमी

By :  vijay
Update: 2024-11-15 17:46 GMT

देश का आम आदमी महंगाई की मार से दयनीय स्थिति में है। प्याज, टमाटर और लहसुन से लेकर खाने के तेल तक की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोगों की रसोई का बजट बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हाल ही में आए खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़े पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। खुदरा महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, वहीं थोक महंगाई दर भी चार महीने के शीर्ष पर है। बीते एक महीने में खाद्य तेल की कीमतें 8 फीसदी तक उछली हैं। महंगाई का आलम ये है कि लोग अब अपने खान-पान के तौर-तरीके बदलने को मजबूर हैं

हाल के महीनों में कीमतें कितनी बढ़ीं हैं? आम आदमी खासकर मध्यम वर्ग, जिन्हें सरकार की ओर से मुफ्त अनाज भी नसीब नहीं है उसपर इसका क्या असर पड़ रहा है? बढ़ती कीमतें घर की रसोई से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी कैसे प्रभावित कर रही हैं, आइए जानते हैं पूरी कहानी।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मूंगफली तेल का दाम 14 अक्तूबर को 193.58 रुपये लीटर था। शुक्रवार को एक फीसदी बढ़कर 195.59 रुपये लीटर के करीब हो गया। सरसो तेल 2.5 फीसदी महंगा होकर 167 रुपये लीटर व वनस्पति तेल पांच फीसदी बढ़कर 142 रुपये लीटर हो गया है। सोयातेल का दाम पांच फीसदी महंगा होकर 141 रुपये लीटर हो गया है। सूरजमुखी तेल भी पांच फीसदी बढ़कर 140 से 147 रुपये लीटर हो गया है। पाम तेल सबसे ज्यादा 8 फीसदी बढ़कर 120 से 129 रुपये लीटर पर पहुंच गया है। तेलों के साथ चाय भी महंगी हो गई है। इसकी कीमत तीन फीसदी बढ़कर 271 रुपये किलो पर पहुंच गई है।

एक साल में टमाटर के भाव 161% बढ़े, आलू 65% महंगा

नवंबर में सब्जियों के दाम घटने के बावजूद वार्षिक आधार पर कीमतें अभी भी ऊंची हैं। अक्तूबर में इनके दाम 42 फीसदी बढ़कर 57 महीने के शीर्ष पर चले गए हैं। सब्जियों की कीमतें तो 30 रुपये से लेकर 80 रुपये किलो तक के बीच हैं। प्याज जहां अभी भी 70-80 रुपये किलो है, वहीं आलू की कीमत 30 रुपये किलो है। प्याज के दाम इस महीने भी ऊंचे बने रहेंगे। सब्जियों की कीमतों में उछाल टमाटर, आलू व प्याज जैसी जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से है। आईसीआईसीआई बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में सब्जियों के दाम चार फीसदी तक घट सकते हैं, लेकिन प्याज की कीमतें ऊंची रहने वाली हैं। बीते एक साल की बात करें तो आलू 65 फीसदी महंगा हुआ है। टमाटर के दाम एक साल में 161 प्रतिशत बढ़े हैं। आलू 65% और प्याज 52% महंगा हुआ है।

बढ़ी महंगाई से आम लोग, एफएमसीजी कंपनियां, होटल-रेस्त्रां सब हलकान?

भारत के शहरी कुकीज से लेकर फास्ट फूड तक हर चीज पर हो रहे खर्च में कटौती कर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई मध्यम वर्ग की जेब काट रही है। जिससे देश की तेज आर्थिक वृद्धि की राह भी मुश्किल हो गई है। पिछले तीन-चार महीनों के दौरान शहरी व्यय में कमी आने से न केवल बड़ी एफएमसीजी कंपनियों की आय प्रभावित हुई, बल्कि भारत की दीर्घकालिक आर्थिक सफलता की तैयारियां भी प्रभावित हो रही हैं। कोरोना महामारी के बाद से भारत की आर्थिक वृद्धि बड़े पैमाने पर शहरी खपत पर आधारित रही है। हालांकि, अब इसमें बदलाव होता दिख रहा है। रॉयटर्स से बातचीत में नेस्ले इंडिया के चेयरमैन सुरेश नारायणन ने कहा, "पहले एक मध्यम वर्ग हुआ करता था, जिसके लिए हममें से अधिकांश फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियां काम करती थीं, देश का वह मध्यम वर्ग अब सिकुड़ता जा रहा है।" किट कैट और अन्य प्रसिद्ध बांड बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया ने 2020 में कोविड-प्रभावित जून तिमाही के बाद पहली बार तिमाही के राजस्व में गिरावट की जानकारी दी है।

बढ़ती महंगाई के कारण घरेलू बाजार में सुस्ती का खतरा

हालांकि, भारतीय मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए कोई आधिकारिक रूप से परिभाषित आय सीमा नहीं है, फिर भी अनुमान है कि वे भारत की 1.4 अरब की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं। यह तबका आर्थिक और राजनीतिक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। जानकार मानते हैं कि इसी साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी दल के सीटों में कमी का सबसे बड़ा कारण मध्यम वर्ग की हताशा ही थी। भारत जो कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है की वृद्धि दर मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में 7.2% रहने की उम्मीद है, इसके समकक्ष देशों की तुलना में यह वृद्धि दर सबसे तेज है। हालाकि, इन अनुमानों को झुठलाते हुए महंगाई के आंकड़े आम लोगों को डराने वाले हैं और घरेलू बाजार में सुस्ती के संकेत दे रहे हैं।

शहरी खपत दो महीने के निम्नतम स्तर पर

सिटीबैंक के आंकड़ों के अनुसार भारतीय शहरी खपत इस महीने दो वर्ष के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है। सूचकांक में एयरलाइन बुकिंग, ईंधन बिक्री और मजदूरी जैसे संकेतक शामिल हैं। सिटी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री समीरन चक्रवर्ती ने कहा, "हालांकि कुछ गिरावट अस्थायी हो सकती है, लेकिन बाजार के प्रमुख कारक प्रतिकूल बने हुए हैं।" सिटी के आंकड़ों से पता चला है कि सूचीबद्ध भारतीय फर्मों के लिए मुद्रास्फीति-समायोजित वेतन लागत में वृद्धि- जो शहरी भारतीयों की कमाई पर असर डालती है- 2024 की सभी तीन तिमाहियों के लिए 2% से नीचे रही, वहीं, यह 10 साल के औसत 4.4% से काफी कम है। चक्रवर्ती इसे शहरी उपभोग को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख करण मानते हैं। उनके अनुसार बचत में कमी और व्यक्तिगत ऋण के लिए सख्त नियम भी इसका कारण हैं।

बीते एक साल से खाद्य मुद्रास्फीति 8% से ऊपर

पिछले 12 महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति औसतन 5% रही, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति 8% से ऊपर रही। प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों के कारण सब्जियों, अनाज और अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि बड़ी वृद्धि देखी गई। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.2% पर पहुंच गई, जबकि खाद्य पदार्थों की कीमतें 10.9% तक बढ़ गईं। नोमुरा ने पिछले सप्ताह अपने एक नोट में कहा कि वास्तविक आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 के त्योहारी सीजन जो अगस्त से नवंबर तक चलती है, के दौरान खुदरा बिक्री साल-दर-साल करीब 15% बढ़ी। यह इसी अवधि में पिछले साल हुई वृद्धि की गति से आधा है।

महंगाई पर जिम्मेदार क्या कह रहे?

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अक्तूबर 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य विनिर्माण, मशीनरी व उपकरणों के विनिर्माण, मोटर वाहनों, ट्रेलर और अर्ध-ट्रेलरों आदि के विनिर्माण की कीमतों में बढ़ोतरी रही। वहीं भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बढ़ती महंगाई पर कहा है कि अक्तूबर में महंगाई दर केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक रही। उनके अनुसार मुद्रास्फीति में समय-समय पर उतार-चढ़ाव के बावजूद इसके कम होने की उम्मीद बनी हुई है। उधर, वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार निकट भविष्य में तेजी के बावजूद, खुदरा मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में रिजर्व बैंक के लक्ष्य के अनुरूप कम हो जाएगी, क्योंकि अधिक बुवाई और पर्याप्त खाद्यान्न बफर स्टॉक के कारण खाद्य कीमतों में कमी आएगी।

आम लोगों का दर्द- 'महंगाई के कारण बचत की कोई गुंजाइश नहीं'

रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में 60 वर्षीय राजवंती दहिया, जो अपने पति की 30,000 रुपये मासिक पेंशन पर गुजारा करती हैं, के हवाले से कहा, "इस त्यौहारी सीजन के दौरान, हमने बिल्कुल भी खर्च नहीं किया है।" महंगाई के कारण बचत की कोई गुंजाइश नहीं है।" भारत के केंद्रीय बैंक को ग्रामीण मांग में सुधार और मजबूत सेवा क्षेत्र के आधार पर मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 7.2% जीडीपी वृद्धि की उम्मीद है। बैंक ऑफ अमेरिका में भारत और आसियान के आर्थिक अनुसंधान प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा कि उच्च सरकारी निवेश से भी मांग को समर्थन मिल सकता है। बाजोरिया ने कहा, "यदि सरकारी खर्च बढ़ता है, तो संभवतः निजी उपभोग व्यय पर भी इसका कुछ गुणात्मक प्रभाव पड़ेगा।" उन्होंने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.8% रहने की उम्मीद जताई।

dबढ़ी महंगाई से देश की जीडीपी के आंकड़े हो सकते हैं प्रभावित

हालांकि, कुछ लोग कम आशावादी हैं। सिटी और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि शहरी खपत में कमी के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर केंद्रीय बैंक की ओर से अनुमानित 7% से कम रहेगी। इस धारणा ने निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक को भी प्रभावित किया है। 1 अक्टूबर से अब तक इसमें 13% की गिरावट आई है, जबकि बेंचमार्क निफ्टी 50 में 7.4% की गिरावट दर्ज की गई। एफएमसीजी सूचकांक की 15 घटक कंपनियों में से केवल एक ने सितम्बर तिमाही में बिक्री में वृद्धि की जानकारी दी है।

गैर-ब्रांडेड उत्पादों की ओर रुख करने को मजबूर ग्राहक

बड़े शहरों में उपभोक्ता हेयर ऑयल से लेकर चाय तक के ब्रांडेड उत्पादों की जगह सस्ते गैर-ब्रांडेड उत्पादों को अपना रहे हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर के खाद्य उत्पादों की बिक्री में 11 तिमाहियों में पहली बार आई गिरावट इसका प्रमाणा है। हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित जावा ने पिछले महीने उम्मीद से कम आय की रहने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, "हम बड़े शहरों में वृद्धि में कमी देख रहे हैं, हालांकि छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि बनी हुई है।"

लोगों को खाने-पीने की चीजों में भी करनी पड़ रही कटौती

आंकड़ों से पता चला कि मैकडोनाल्ड्स, बर्गर किंग, पिज्जा हट और केएफसी जैसी फास्ट फूड शृंखलाओं की बिक्री में गिरावट आई है। बर्गर किंग ऑपरेटर रेस्तरां ब्रांड्स एशिया के सीईओ राजीव वर्मन ने कहा कि हालांकि लोग अब भी आ रहे हैं, लेकिन वे सस्ते भोजन का विकल्प चुन रहे हैं। पिछली तिमाही में कंपनी की बिक्री में 3% की गिरावट दर्ज की गई। मुंबई में एक बीमा कंपनी में कार्यरत संत कुमार, जिनके परिवार में चार सदस्य हैं ने कहा, "हम ऐसे खरीदारी के लिए ऐसे बजट अनुकूल दुकानों को प्राथमिकता देते हैं, जो हमारे मासिक खर्च को प्रबंधित करने के लिए अच्छे सौदे और छूट देते हैं।"

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