आयकर में कटौती के लिए नौकरशाहों को समझाने में समय लगा, लेकिन पीएम...'; सीतारमण का बड़ा खुलासा

Update: 2025-02-02 17:21 GMT

नई कर व्यवस्था में 12 लाख तक की आय कर मुक्त होने के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से थे। लेकिन नौकरशाहों ने को समझाने में काफी ज्यादा समय लग गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, यह ऐसी बड़ी घोषणा है जो न केवल अर्थव्यवस्था की नैया पार लगा सकती है, बल्कि आम लोगों के एक बड़े वर्ग को भी राहत दे सकती है।

निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जिक्र करते हुए कहा, बजट 2025 जनता द्वारा, जनता के लिए जनता का बजट है। हमने मध्य वर्ग की आवाज सुनी है जो ईमानदार करदाता होने के बावजूद अपनी आकांक्षाएं पूरी नहीं होने की शिकायत कर रहे थे। ईमानदार और गौरवान्वित करदाता चाहते थे कि सरकार महंगाई जैसे कारकों के प्रभाव को सीमित करने के लिए और अधिक प्रयास करे। इसके बाद प्रधानमंत्री ने राहत देने के तरीकों पर विचार करने का काम सौंपा। हालांकि पीएम मोदी कर राहत के लिए तुरंत सहमत हो गए, लेकिन वित्त मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारियों को शामिल करने के लिए उन्हें थोड़ा समझाने की जरूरत पड़ी। इन लोगों को कल्याण और अन्य योजनाओं को पूरा करने के लिए राजस्व संग्रह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। कर कटौती की बड़ी घोषणा के पीछे की सोच पर कुछ समय से काम चल रहा था।

घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा

सीतारमण ने कहा, नई दरों से मध्य वर्ग के करों में काफी कमी आएगी। उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। यह वह बजट है जो लोग चाहते थे।

प्रत्यक्ष कर को सरल बनाने पर भी जोर था

वित्त मंत्री ने कहा, एक विचार प्रत्यक्ष कर को सरल और अनुपालन में आसान बनाना था। जुलाई, 2024 के बजट में इस पर काम शुरू हुआ और अब एक नया कानून आने वाला है, जो भाषा को सरल बनाएगा। अनुपालन बोझ को कम करेगा और थोड़ा अधिक यूजर्स अनुकूल होगा। कई वर्षों से हम उन तरीकों पर विचार कर रहे हैं, जिनसे दरें करदाताओं के लिए अधिक अनुकूल हो सकती हैं।

मध्य वर्ग की आवाज को हमने सुना

जुलाई के बजट के बाद मध्य वर्ग की यह आवाज थी कि उन्हें ऐसा नहीं लगता है उनकी समस्याओं के निवारण के लिए बहुत कुछ किया गया। यह भी भावना थी कि सरकार अत्यंत गरीब और कमजोर वर्गों की देखभाल करने में बहुत समावेशी है। मैं जहां भी गई, वहां से यही आवाज आई कि हम गौरवान्वित करदाता हैं। हम ईमानदार करदाता हैं। हम अच्छे करदाता बनकर देश की सेवा करना जारी रखना चाहते हैं। लेकिन उनका सवाल यह था कि आप हमारे लिए किस तरह की चीजें कर सकते हैं, इसके बारे में आप क्या सोचते हैं?

पीएम के साथ की चर्चा

करदाताओं के इन सवालों के बाद मेरी यह चर्चा प्रधानमंत्री के साथ भी हुई। उन्होंने मुझे यह कार्यभार सौंपा कि आप बजट में क्या लेकर आ सकते हैं। आंकड़ों पर काम किया गया और प्रधानमंत्री को दिखाया गया। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री को अपने साथ लाने में कितना प्रयास करना पड़ा, सीतारमण ने कहा, ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि वह कुछ करना चाहते हैं। यह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह विचार करे और फिर प्रस्ताव के साथ आगे बढ़े।

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