नवंबर में महंगाई से थोड़ी राहत; खुदरा महंगाई दर छह फीसदी से नीचे 5.48% पर, सरकारी आंकड़े जारी

Update: 2024-12-12 13:08 GMT

महंगाई के मोर्चे पर नवंबर महीने में लोगों को मामूली राहत मिली। सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते महीने 5.48% रही। इससे पहले अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21% थी। भारतीय रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को 4% पर रखने का लक्ष्य रखा है, जिसमें दोनों ओर दो प्रतिशत अंकों की सहनशीलता सीमा तय की गई है।

खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से महंगाई में नरमी

गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति दर नवंबर में धीमी होकर 5.48 प्रतिशत पर आ गई। अक्तूबर में यह 6.21 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई घटने का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों की कीमतों में नरमी आना है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 9.04 प्रतिशत रह गई। अक्तूबर में यह 10.87 प्रतिशत और नवंबर 2023 में 8.70 प्रतिशत रही थी।

एनएसओ ने कहा, "नवंबर 2024 के महीने के दौरान सब्जियों, दालों और उत्पादों, चीनी और मिठाई, फलों, अंडे, दूध और उससे जुड़े उत्पादों, मसालों, परिवहन और संचार व व्यक्तिगत देखभाल जैसे उपसमूहों में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।"

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाया

सीपीआई आधारित हेडलाइन मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त के दौरान औसतन 3.6 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में 5.5 प्रतिशत और अक्तूबर 2024 में 6.2 प्रतिशत हो गई थी। यह आंकड़ा सितंबर 2023 के बाद से एक वर्ष से अधिक समय में सबसे अधिक था।

बीते सप्ताह, रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने यह भी कहा कि खाद्य कीमतों पर दबाव के कारण दिसंबर तिमाही में महंगाई दर के ऊंचे स्तर पर बने रहने की संभावना है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित हेडलाइन मुद्रास्फीति जुलाई-अगस्त तिमाही के दौरान औसतन 3.6 प्रतिशत थी।

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अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 3.5 प्रतिशत बढ़ा

भारत के औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर इस साल अक्तूबर में धीमी होकर 3.5 प्रतिशत रह गई। इसका मुख्य कारण खनन, बिजली और विनिर्माण क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन है। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा जाने वाला कारखाना उत्पादन, अक्तूबर 2023 में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक अक्टूबर 2024 में 3.5 प्रतिशत बढ़ जाएगा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों से पता चला है कि अक्टूबर 2024 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 4.1 प्रतिशत बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी महीने में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

अक्तूबर 2024 में खनन उत्पादन में 0.9 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में 2 प्रतिशत की वृद्धि होगी। अप्रैल-अक्तूबर अवधि में आईआईपी की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही, जबकि एक वर्ष पूर्व इसी अवधि में यह 7 प्रतिशत थी।

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