ईडी ने अवंता ग्रुप की 678 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

By :  vijay
Update: 2024-08-15 18:58 GMT

 हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में स्थित संपत्तियों को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है। ये संपत्तियां अवंता समूह की विभिन्न कंपनियों की हैं। अवंता समूह का स्वामित्व और नियंत्रण व्यवसायी गौतम थापर के पास है।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी जांच के तहत अवंता समूह की 678 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की भूसंपत्तियां धनशोधन रोधी कानून के तहत कुर्क की हैं। निदेशालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में स्थित संपत्तियों को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है। ये संपत्तियां अवंता समूह की विभिन्न कंपनियों की हैं। अवंता समूह का स्वामित्व और नियंत्रण व्यवसायी गौतम थापर के पास है।

ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘19 अगस्त 2019 को ‘सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड’ ने सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं) विनियम, 2015 के विनियम 30 के तहत ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ और ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ के समक्ष उन जानकारियों का खुलासा किया था, जिनका कंपनी की वित्तीय स्थिति पर संभावित प्रभाव था।’’

ईडी ने बयान में कहा, ‘‘ ‘सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड’ द्वारा किए गए खुलासे से पता चला है कि कंपनी की संपत्तियों और देनदारियों को काफी कम करके दिखाया गया है।’’

एजेंसी के अनुसार, इस खुलासे पर ऋणदाता बैंकों ने गौर किया और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा की गई शिकायत के आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जून 2021 में ‘सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशन लिमिटेड’, गौतम थापर, के एन नीलकंठ, माधव आचार्य, बी हरिहरन, ओंकार गोस्वामी और अज्ञात लोक सेवकों और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ 2,435 करोड़ रुपये की ‘‘बैंक धोखाधड़ी’’ करने का मामला दर्ज किया था।

ईडी का धनशोधन का मामला सीबीआई की इसी प्राथमिकी से संबंधित है। इससे पहले ईडी ने 14 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की थी और पीएमएलए के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था। इसके अलावा कंपनी के एक ‘‘प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारी’’ माधव आचार्य को भी गिरफ्तार किया गया था।

ईडी ने कहा कि बाद में पता चला कि ऋण लेकर 1,307.06 करोड़ रुपये अवंता समूह की कंपनियों में स्थानांतरित कर दिए गए। उसने दावा किया कि इनमें से अधिकांश धनराशि का भुगतान बोर्ड की ‘‘उचित अनुमति के बिना’’ किया गया।

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