होली पर 60 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का अनुमान, चीनी रंग और गुलाल से लोगों ने बनाई दूरी
होली आने में अभी पांच दिन का समय बाकी है, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों पर होली का रंग सर चढ़कर बोल रहा है। बाजार होली के रंग, पिचकारी से लेकर स्वादिष्ठ मिष्ठान्नों से भर गया है। जगह-जगह पर होली के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और लोग खूब जमकर होली के गानों पर थिरक रहे हैं। होली के इन कार्यक्रमों का असर सीधे बाजार पर दिखाई दे रहा है और बाजार में भी तेजी देखी जा रही है। इस वर्ष अकेले होली पर देश भर में 60 हजार करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान है। इससे व्यापारी वर्ग उत्साह में है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि इस बार भी होली की त्योहारी बिक्री में चीन के बने हुए सामान का व्यापारियों एवं ग्राहकों ने बहिष्कार किया है। लोग केवल भारत में ही बने हर्बल रंग एवं गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, परिधान सहित अन्य सामान खरीद रहे हैं। इससे भारतीय उत्पादकों और विक्रेताओं को जबरदस्त लाभ हो रहा है।
बाजारों में रंग-गुलाल में सबसे ज्यादा मांग हर्बल रंगों की हो रही है। लोग भारतीय उत्पादकों के द्वारा बनाए गए हर्बल उत्पादों की खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं। रंग, पिचकारी, गुलाल, अबीर, गुब्बारे, मिठाइयां और होली खेलने के लिए बने विशेष कपड़ों की बाजारों में सबसे तेजी से मांग देखी जा रही है। बाजारों में उपभोक्ताओं की यह भीड़ होली के बाद नवरात्रों तक बने रहने का अनुमान है।
पिछली बार से 20 प्रतिशत ज्यादा व्यापार
कैट के अनुसार, इस वर्ष होली का त्योहार 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। पिछले वर्ष की तुलना में यह लगभग 20% अधिक है। पिछले वर्ष दूसरे मामलों में बाजार में कमजोरी रहने के बाद भी इसी दौरान होली पर पूरे देश में लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। इस बार अकेले देश की राजधानी दिल्ली में ही लगभग 8 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार होने की संभावना है।