अब नहीं चलेगा 'टैग-इन-हैंड' का खेल, एनएचएआई लूज फास्टैग यूजर्स को करेगा ब्लैकलिस्ट

By :  vijay
Update: 2025-07-11 12:33 GMT
अब नहीं चलेगा टैग-इन-हैंड का खेल, एनएचएआई लूज फास्टैग यूजर्स को करेगा ब्लैकलिस्ट
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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) (NHAI, एनएचएआई) ने FASTag (फास्टैग) के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब 'लूज फास्टैग' यानी जो टैग वाहन की विंडस्क्रीन पर न लगाकर हाथ में रखा जाता है (जिसे आम भाषा में "टैग-इन-हैंड" कहा जाता है), उसकी तुरंत रिपोर्ट कर ब्लैकलिस्ट करने की व्यवस्था लागू की गई है। ये कदम इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

क्यों जरूरी है यह कदम

सरकार ने हाल ही में एनुअल पास सिस्टम और मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग जैसी नई पहल की घोषणा की है। इन सबकी सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि फास्टैग का इस्तेमाल सही तरीके से हो। जब वाहन मालिक जानबूझकर फास्टैग को गाड़ी पर नहीं लगाते, तब इससे टोल प्लाजा पर लंबी लाइनें लग जाती हैं, गलत भुगतान रिकॉर्ड होते हैं, और बंद सिस्टम में टैग का दुरुपयोग होता है। इसका असर बाकी यात्रियों पर भी पड़ता है, जिससे उन्हें बेवजह देरी और असुविधा झेलनी पड़ती है।

कैसे होगी रिपोर्टिंग और कार्रवाई

एनएचएआई ने सभी टोल कलेक्शन एजेंसियों और कॉनसेशनरों को निर्देश दिया है कि वे लूज फास्टैग की तुरंत रिपोर्ट करें। इसके लिए एक विशेष ईमेल आईडी भी दी गई है। रिपोर्ट मिलते ही ऐसे टैग्स को ब्लैकलिस्ट या हॉटलिस्ट कर दिया जाएगा। इससे गड़बड़ी करने वालों पर त्वरित कार्रवाई संभव होगी।

फास्टैग की सफलता और आने वाले बदलाव

आज देश में 98 प्रतिशत से ज्यादा वाहन फास्टैग सिस्टम से जुड़े हैं, जिससे टोल कलेक्शन डिजिटल और तेज हो गया है। लेकिन 'लूज टैग' जैसी हरकतें पूरे सिस्टम को अस्थिर कर सकती हैं। ऐसे में इस नई व्यवस्था से टोल ऑपरेशन और ज्यादा असरदार, पारदर्शी और यात्रियों के लिए सुगम होगा।

टोल दरों में राहत भी

गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने कुछ नेशनल हाईवे सेक्शंस पर टोल दरें 50 प्रतिशत तक घटा दी हैं। इसमें खास तौर से ब्रिज, टनल, फ्लाईओवर और एलिवेटेड रोड शामिल हैं। इसके लिए 'नेशनल हाईवे फी रूल्स, 2008' में संशोधन कर टोल गणना का नया फॉर्मूला भी लागू किया गया है। इससे आम लोगों के सफर का खर्च कम होगा और सड़क से सफर अधिक सुलभ बनेगा।

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