भीलवाड़ा में खनन पर संकट — अरावली प्रतिबंध से हजार पट्टे प्रभावित

भीलवाड़ा जिले के अरावली क्षेत्र में खनन पर लगी रोक खनन कारोबार पर भारी पड़ रही है। जिले की सभी तहसीलों में फैले करीब **1,000 खनन पट्टों में से अधिकांश अरावली श्रेणी में आते हैं। बदनोर और शीतला का चौड़ा क्षेत्र की 70 से अधिक खदानें पहले ही बंद** हो चुकी हैं, जबकि बाकी पट्टों की अवधि पूरी होते ही संचालन ठप हो जाएगा।खनन उद्यमियों और मजदूरों में भविष्य को लेकर चिंता है, वहीं खान विभाग भी दबाव में है।
कानूनी पेंच
राज्य सरकार के निर्देश और पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत अरावली क्षेत्र में नई खदानों की अनुमति नहीं दी जा रही। पहले से चल रही खदानें भी केवल तय समय तक ही संचालन कर सकती हैं। समयावधि पूरी होने पर लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होता।
पहले आंशिक, अब पूरा जिला अरावली में
खनिज विभाग के अनुसार पहले जिले के कुछ हिस्से — ज्ञानगढ़, चिताम्बा, फाकोलिया, आसींद, बदनोर और भीम क्षेत्र — अरावली के दायरे में थे। यहां ग्रेनाइट, क्वार्ट्ज, फेल्सपार, माइका, मार्बल जैसी खदानें हैं। अब पूरे जिले को अरावली श्रेणी में शामिल कर दिया गया है।कोठारी नदी भी अरावली पहाड़ियों से निकलकर जिले में बहती है, जिससे यह क्षेत्र पूरी तरह संवेदनशील घोषित हो गया है।