संविधानिक संस्थाओं को बदनाम करना कुछ लोगों का शगल बन गया', उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि संविधानिक संस्थाओं को बदनाम करना और लोगों को उपदेश देना अब एक शगल बनता जा रहा है। इस तरह की हरकतों से देश में अराजकता फैल सकती है। यहां तक कि जो लोग राजनीति की दृष्टि से भी संविधान के लिए महत्वपूर्ण हैं, वह भी संविधानिक संस्थाओं को बदनाम करने और लोगों को उपदेश देने में लगे हुए हैं। उपराष्ट्रपति दिल्ली में एक शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं।
'अभिजात वर्ग को अपने कर्तव्यों का अहसास हो'
धनखड़ ने कहा, अब समय आ गया है कि हम इस चीज को अलविदा कहें। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, 'मैं अत्यंत संयम के साथ यह भी कहना चाहते हैं कि समय आ गया है कि कि हमारे अभिजात वर्ग को अपने कर्तव्यों का एहसास हो। मैं उनसे अपील करता हूं कि आप राष्ट्रीयता के जोश से प्रेरित हों।'
'शिक्षण संस्थान की धुरी होते हैं भूतपूर्व छात्र'
उप राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में भूतपूर्व छात्रों की भी अहम भूमिका है। संस्थान के पुराने छात्र कई तरह से उसकी धुरी होते हैं। मैं उनसे भूतपूर्व छात्रों के संघों के लिए सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह करता हूं। धनखड़ ने यह भी कहा कि व्यापार, उद्योग और वाणिज्य जगत से जुड़े संघों को भी आगे आकर शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय योगदान देना चाहिए।
उप राष्ट्रपति ने एक भूतपूर्व छात्रों का फंड बनाने की भी सिफारिश की, ताकि यह फंड शिक्षण संस्थाओं के विकास में सहायक हो सके। धनखड़ ने कहा कि कई प्रमुख वैश्विक संस्थाएं इस तरह के योगदान के कारण ही ऊंचाईयों तक पहुंच पाई हैं।