जल-थल और आकाश पर पैनी नजर, बीएसएफ जवान उन्नत तकनीक से कर रहे निगहबानी, जानिए सबकुछ
अवैध घुसपैठ, स्मगलिंग और मानव तस्करी की बढ़ती चिंताओं के बीच, बीएसएफ ने भारत- बांगलादेश से अंतरराष्ट्रीय सीम पर चौकसी और बढ़ा दी है। जल-थल और आसमान से निगरानी की जा रही है। विषम परिस्थितियों के बावजूद किसी भी तरह की हरकतों से निपटने के लिए जवान तैयार हैं। सीमा की सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए बीएसएफ उन्नत और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर रही है। अमर उजाला ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले से सटे भारत-बांग्लादेश अतंरराष्ट्रीय सीमा की विभिन्न सीमाओं का दौरा किया और हालात का जायजा लिया।
बीएसएफ के सामने ये हैं चुनौतियां
भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा को कई जगह जमीन तो कई जगह नदी बांटती है। बीएसएफ का दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, दोनों देशों के बीच 913 किमी लंबी सीमा की सुरक्षा करता है। इसमें से आधे से भी अधिक हिस्सों पर तारबंदी नहीं हुई है। कई जगह ऐसी हैं, जहां पर प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि रात के अंधेरे, धुंध और बाढ़ के मौसम में जहां प्रकाश नहीं है, वहां बीएसएफ के जवानों कठिन भौगोलिक क्षेत्रों
और नदी क्षेत्रों में घुसपैठ, स्मगलिंग और मानव तस्करी को रोकना एक चैलेंज है, लेकिन जवान चौबीसों घंटे इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं।
अत्याधुनिक और उन्नत तकनीक का उपयोग
बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि जहां अभी तक बाड़ नहीं लग पाया है, वहां से अवैध घुसपैठ, स्मगलिंग और मानव तस्करी को रोकने के लिए कई तरीकों का उपोयग कर रही हैं। हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए ‘पैन, टिल्ट और जूम’ (पीटीजेड) कैमरे और अन्य फिक्स्ड कैमरे लगाए गए हैं। इनमें रात के समय देखने की क्षमता और सेंसर लगे होते हैं, जो किसी भी गतिविधि को तुरंत नियंत्रित कक्ष में भेजते हैं।
पेट्रापोल भूमि सीमा कस्टम स्टेशन के पास बीएसएफ के एक बटालियन कमांड क्षेत्र में 32 किमी लंबी सीमा में से केवल 11 किमी क्षेत्र ही बाड़ से घिरा हुआ है, जबकि बाकी का क्षेत्रों को पारंपरिक और अत्याधुनिक तकनीकों के संयोजन के साथ सुरक्षित किया गया है। अधिकारी ने कहा, स्मार्ट बाड़ लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही है। राज्य प्रशासन ने बीएसएफ की आवश्यकताओं के अनुसार सीमा के पास कुछ भूमि बल को सौंप दी गई है।
जवानों ने लगाए कई जगह कांटेदार तार
कई जगह जहां पर जहां पर स्मार्ट बाड़ नहीं लगाई जा सकी है, वहां पर बीएसएफ के जवानों ने खुद कांटेदार तार लगाए हैं। इन पर अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं, जो किसी भी घुसपैठिए द्वारा तारों को छूने पर सक्रिय हो जाते हैं, जिससे रात के अंधेरे में भी उस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों का आसानी से पता चल जाता है।
360 डिग्री घूमने वाली निगरानी
सीमा पर स्मगलर्स और तस्कर हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं, बीएसएप हम इन चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। निगरानी क्षेत्रों में भी इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की जाती है, जहां 360 डिग्री घुमने वाले कैमरे और सेंसर लगे होते हैं। अगर कोई इसे छूता है तो अलार्म बजने लगता है। साथ ही सीमा पर हर गतिविधि को नियंत्रित कक्षों से मॉनिटर किया जाता है और वहां से संबंधित को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए चला जाता है
नेटिंग और गैर-घातक हथियारों का उपयोग
कई गांव सीमा से बिल्कुल सटे होते हैं। वहां स्मार्ट बाड़ को घेरने करने के लिए जाल का उपयोग भी किया जाता है, ताकि कोई व्यक्ति सीमा के पार से कोई वस्तु फेंककर दूसरी ओर खड़े प्राप्तकर्ता को भेज न सके। इन बाड़ों की ऊंचाई कुछ स्थानों पर 20 फीट तक होती है। बीएसएफ के जवान ड्यूटी पर पंप एक्शन गन्स (पीएजी) जैसे गैर-घातक हथियारों से लैस हैं।