कार्बन क्रेडिट खरीदने के लिए गूगल ने भारतीय स्टार्टअप से किया करार, बायोचार से जुड़ा सबसे बड़ा सौदा
भारत में कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (सीडीआर) के लिए टेक कंपनी गूगल ने वराह नामक स्टार्टअप से किया करार किया है। दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने बताया कि वह वराह से कार्बन क्रेडिट खरीदेगा, जो बड़ी मात्रा में कृषि अपशिष्ट को बायोचार में परिवर्तित करता है। बायोचार चारकोल का एक रूप है, जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता है और इसे मिट्टी में वापस भेजता है। गूगल और भारतीय स्टार्टअप वराह के बीच हस्ताक्षरित यह बायोचार से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है।
गूगल उन कई बड़ी तकनीकी कंपनियों में से एक है जो सीडीआर पहल के जरिए उत्सर्जन की भरपाई करना चाहती हैं। बता दें कि सीडीआर के तहत वायुमंडल और महासागरों में पहले से मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए कुछ विशेषज्ञ महंगी नई तकनीकों पर विचार कर रहे हैं, जो सीधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने में कारगर बताई जाती हैं।
वहीं, बायोचार जैसे समाधान निकट भविष्य में एक सस्ता विकल्प साबित हो सकते हैं। गूगल वर्ष 2030 तक 1 लाख टन कार्बन क्रेडिट खरीदेगा। वराह के मुख्य कार्यकारी मधुर जैन ने कहा कि इसमें तेजी से विकास की गुंजाइश है, क्योंकि भारत के खेतों से निकलने वाले अपशिष्ट से हर साल पर्याप्त बायोचार उत्पन्न करने की क्षमता है, जिसका उपयोग 100 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड संग्रहीत करने में हो सकता है।
बायोचार बना टिकाऊ विकल्प
गूगल के कार्बन रिमूवल लीड रैंडी स्पॉक ने कहा, कार्बन हटाने के लिए बायोचार एक शानदार विकल्प है। इसका मिट्टी के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस पहल के तहत, वराह भारत में सैकड़ों छोटे किसानों से अपशिष्ट खरीदेगा और इसे बायोचार में बदलने के लिए रिएक्टर बनाएगा, जो सैकड़ों वर्षों तक कार्बन डाइऑक्साइड को अलग रखने में सहायक हो सकता है। इसे उर्वरकों के विकल्प के रूप में किसानों को भी आपूर्ति की जाएगी।