अमेरिका का मुख्य सौर पैनल निर्यातक बन सकता है भारत, चीन विरोधी भावना का उठाएगा फायदा
भारत अमेरिका को सौर पैनल निर्यात करने वाला प्रमुख निर्यातक बन सकता है और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की जगह ले सकता है। वैल्यूक्वेस्ट इन्वेस्टमेंट की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि इसकी वजह भारत के पास बड़े पैमाने पर निर्माण सुविधाएं, कुशल कर्मचारी, और दक्षिण-पूर्व एशिया और मेक्सिको के मुकाबले कम उत्पादन लागत है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अमेरिका चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। इससे भारत के लिए नए अवसर बन रहे हैं। इस वजह से भारत अमेरिकी अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है। रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे अमेरिका ट्रंप प्रशासन के तहत ऊर्जा नीति की पेचीदगियों से निपट रहा है, वहां अक्षय ऊर्जा के लिए संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं।
अमेरिका सौर उर्जा में कर रहा भारी निवेश
अमेरिका सौर में भारी निवेश कर रहा है, जो बीते दशक में तेजी से बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (आईआरए) के तहत नवीकरणीय ऊर्जा, खास तौर से सौर ऊर्जा के निवेश में तेजी लाने के लिए कई प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं और निवेश किये जा रहे हैं। यह 2013 में केवल 15 गीगावाट से बढ़कर 2023 तक 178 गीगावाट हो गया है। नवीकरणीय ऊर्जा में यह विकास तकनीकी प्रगति, घटती लागत और डीकार्बोनाइजेशन के लिए बढ़ती सार्वजनिक प्रतिबद्धता से प्रेरित है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐसे में जीवाश्म ईंधन को तवज्जो देने वाले ट्रंप प्रशासन के लिए आईआरए में बदलाव करना आसान नहीं होगा,क्योंकि यह एक अधिनियमित कानून है। यह संघीय एजेंसी विनियमन या कार्यकारी आदेश नहीं है, इसलिए किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव के लिए कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
भारत उठा सकता है चीन विरोधी भावना का फायदा
रिपोर्ट कहती है कि वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में चीन विरोधी भावना है और भारत के लिए यह शानदार मौका है। जब अमेरिका अपनी व्यापार साझेदारी में विविधता लाने का लक्ष्य रखता है और चीन से इतर विकल्प तलाश रहा है। वैश्विक स्तर पर चीन-विरोधी भावना का फायदा भारत को मिल रहा है। सॉफ्टवेयर और दवाइयों जैसे उद्योगों में अमेरिका के साथ भारत के मजबूत व्यापारिक संबंध हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग को बढ़ाने में मदद करेंगे। भारतीय कंपनियां अमेरिका में भी निर्माण इकाइयां स्थापित कर रही हैं। जोखिमों को कम कर रही हैं और अक्षय ऊर्जा उत्पादन से जुड़े कर क्रेडिट से फायदा उठाने के लिए खुद को तैयार कर रही हैं।
अमेरिका जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाना चाहता है। भारत सौर पैनल सस्ती कीमत पर देकर इसमें मदद कर सकता है। इससे दोनों देशों को फायदा होगा। यह साझेदारी अमेरिका के लिए (नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार) और भारत के लिए (निर्यात और रोजगार में वृद्धि) फायदेमंद साबित हो सकती है।