फुले के समानता के मार्ग पर चलेगी सरकार, जल्द पूरा होगा स्मारक का काम', CM फडणवीस ने दिया आश्वासन

By :  vijay
Update: 2025-01-03 11:19 GMT

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार 19वीं सदी के समाज ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले द्वारा दिखाए गए बराबरी के मार्ग पर चलेगी। ज्योतिराव फुले ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और समानता की पैरवी की थी और वंचित के सशक्तिकरण के लिए काम किया था। जबकि सावित्रीबाई फुले को भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा का अग्रदूत माना जाता है।

सावित्रीबाई फुले के जन्म स्थान पर कार्यक्रम आयोजित

फडणवीस ने यह बयान सावित्रीबाई फुले की जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दिया। कार्यक्रम पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में आयोजित किया गया था, जो सावित्रीबाई का जन्म स्थान है। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री फडणवीस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता छगन भुजबल और राज्य मंत्री अतुल सावे मौजूद थे।

स्मारक का काम पूरा होगा, पर्याप्त धन सुनिश्चित करेंगे: फडणवीस

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा, 'राज्य सरकार फुले द्वारा दिखाए गए बराबरी के मार्ग पर चलेगी। इस गांव के सरपंच की ओर से जो भी मांग की गई है, उसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। अगले छह वर्षों में हम सावित्रीबाई फुले की 200वीं जयंती मनाएंगे। उससे पहले उनके स्मारक का काम पूरा होगा। हम परियोजना के लिए पर्याप्त धन सुनिश्चित करेंगे।'

फडणवीस ने आगे कहा, 'राज्य और देश में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण होगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि राज्य में लखपति दीदी की संख्या बढ़े। लखपति दीदी स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है, जिनकी वार्षिक घरेलू आय एक लाख रुपये या उससे अधिक होती है।'

भिड़े वाड़ा के काम को दी जाए गति: छगन भुजबल

वहीं, भुजबल ने कहा, 'प्रसिद्ध शिक्षाविद हरि नारके ने मुझे सावित्रीबाई फुले के जन्म स्थान के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था कि हम सावित्रीबाई फुले के समय में जो घर था, उसे फिर से बनाएंगे।' नारके ने लंबे समय तक ज्योतिराव फुले के काम पर शोध किया था। राकांपा नेता ने कहा, 'केवल ब्राह्मणों ने ही सावित्रीबाई फुले पर पत्थर नहीं फेंके, बल्कि हमारी जाति के कुछ लोगों ने भी ऐसा किया। कुछ ब्राह्मणों ने उनकी मदद की, जबकि हमारे समुदाय के कई लोगों ने उनके स्मारक के निर्माण का विरोध किया।'

उन्होंने कहा, 'आज भी महिलाओं की शिक्षा के रास्ते में कई रुकावटे हैं। देवेंद्र , आप सावित्रीबाई के काम को आगे बढ़ा रहे हैं। सरकार को सावित्रीबाई फुले के नाम पर जो पुरस्कार दिए जाते थे, उन्हें फिर से शुरू करना चाहिए। पुणे के भिड़े वाड़ा के काम को भी गति दी जानी चाहिए।' फुले दंपति ने 1848 में भिड़े वाड़ा में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला था। इस स्थल पर उनकी स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। 

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