सहकारी बैंक में फिर बवाल: लाखों की राशि खातों में, किसानों को मिल रहे केवल 10-20 हजार

नीमच/हरदा।
प्रदेश के सहकारी बैंकों की हालत एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गबन और भ्रष्टाचार की कहानियों से घिरे इन बैंकों में अब किसानों की फसल के पैसे तक फंसे नजर आ रहे हैं। हरदा जिले के **रहटगांव स्थित जिला सहकारी बैंक** में भी ऐसा ही हाल है, जहां किसानों के खातों में मूंग की बिक्री की **लाखों की रकम आने के बावजूद** उन्हें केवल **10 या 20 हजार रुपए** देकर लौटा दिया जा रहा है।
दूर-दराज से आए किसान, मायूस लौटे
कई किसान, जिनमें बबलू पटेल, दुर्गा गौर, विवेक गुर्जर और दीपक गौर शामिल हैं, ने बताया कि उन्हें खातों में रकम आए **10 दिन से ज्यादा हो चुके हैं**, लेकिन अब तक पूरी राशि नहीं मिल सकी। कुछ किसान तो **45 किलोमीटर दूर** के वनग्रामों से बैंक पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां से भी उन्हें खाली हाथ या मामूली रकम लेकर लौटना पड़ रहा है।
एनईएफटी-आरटीजीएस भी ठप
किसानों का कहना है कि जब उन्होंने फसल बेचते वक्त दूसरे बैंकों के खाते दिए थे, तब भुगतान वहीं पहुंचना चाहिए था। लेकिन रकम रहटगांव सहकारी बैंक के खातों में पहुंच गई है, और अब यहां के कर्मचारी **एनईएफटी और आरटीजीएस करने से भी मना** कर रहे हैं। किसान बबलू पटेल ने बताया, “अब तो बैंक वाले साफ कह देते हैं कि 5 दिन बाद आना।”
जब लाखों हैं खाते में, तो टुकड़ों में क्यों मिल रहा भुगतान?
किसानों ने सवाल उठाया है कि जब उनके खाते में **पूरा पैसा आ चुका है**, तो फिर उन्हें क्यों सिर्फ **10-10 हजार की किश्तों में भुगतान** किया जा रहा है। उन्होंने बैंक कर्मचारियों के **रुखे व्यवहार** पर भी नाराजगी जताई और कहा कि विड्रॉल फॉर्म भरने से लेकर नकद निकालने तक हर जगह उन्हें **अनावश्यक अड़चनें** झेलनी पड़ रही हैं।
बैंक मैनेजर की सफाई: स्टेट बैंक से फंड नहीं आया
इस मामले में जिला सहकारी बैंक रहटगांव के प्रबंधक **ओपी श्रीवास** का कहना है कि बैंक में नकदी की कमी **स्टेट बैंक से फंड रिलीज नहीं होने** के कारण हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की राशि के निपटारे के लिए **आरटीजीएस और एनईएफटी** की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।