सांपों की गणना के लिए सीएम ने दिए निर्देश, उलझन में वन विभाग- कैसे कराएं

मध्य प्रदेश में सांपों की गणना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बार-बार निर्देश देने के बाद भी वन विभाग अब तक कोई कार्ययोजना नहीं बना पाया है। हाल ही में एक कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव की उपस्थिति में मुख्यमंत्री यादव ने अपर मुख्य सचिव वन अशोक बर्णवाल से पूछ लिया कि अब तक सांपों की गणना क्यों नहीं कराई गई, क्या परेशानी है।
इसके बाद वन विभाग उलझन में पड़ गया है कि आखिर सांपों की गिनती कराएं तो कैसे कराएं। इसके लिए विशेषज्ञों से बात भी की जा रही है और सांपों की गणना कराने का रास्ता तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि देश ही नहीं दुनिया में इस तरह का प्रयोग अभी तक नहीं किया गया है।
बता दें कि दुनिया में सांपों की 3,500 प्रजातियां हैं। इनमें से प्रदेश में मुख्यत: 40 प्रजातियों के सांप मिलते हैं। इनमें भी जहरीले सांपों की सिर्फ तीन प्रजातियां हैं। जिसमें कोबरा करैत और वाइपर जहरीले सांप हैं। खेतों में सबसे बड़ी संख्या में धामन सांप मिलता है।
मुख्यमंत्री चिंतित
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 18 अप्रैल को भोपाल में एक कार्यक्रम में सांपों गणना पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि सर्प की गिनती नहीं करा रहे, ये वन विभाग का कौन सा हिसाब है, मेरे पल्ले ही नहीं पड़ता है। गिनती नहीं करने से हमारा सर्पराज किंग कोबरा प्रदेश से गायब ही हो गया।
जब मैं किंग कोबरा की बात करता हूं कि लोग चुटकी लेते हैं कि किंग कोबरा में ही क्यों आनंद आता है। मुझे आनंद नहीं कष्ट दिखता है। सर्पों की गिनती की व्यवस्था अभी तक फारेस्ट एक्ट में ही नहीं है और न ही कोई सापों की गिनती करता हैं।
मैं कई बार बोल चुका हूं, लेकिन इसका कोई हिसाब किताब ही नहीं है। इसका नुकसान भी है, वनांचल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सर्प दंश की घटनाएं हो रही हैं। महाकौशल क्षेत्र में बड़ी संख्या में सर्प दंश से लोंगों की मृत्यु हुई है। इसकी मुख्य वजह जगरीले सांपों की संख्या बढ़ना है।
बिल में रहते हैं सांप, कैसे कराएंगे गणना
देश में सांपों की गणना का कोई फार्मूला नहीं देखने में आया है। सांप वैसे भी बिल में रहते हैं, ऐसे में सांपों की गणना किस तरह से कराई जाएगी। यह तो विशेषज्ञ ही बता पाएंगे। प्रदेश में किंग कोबरा को बसाने का निर्णय अच्छा है। - अतुल श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक।