चापलूस या पाखंडी बनने की चाह न रखें, सवाल पूछने की आदत विकसित करें'; उपराष्ट्रपति की अपील

By :  vijay
Update: 2025-01-12 17:27 GMT

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में सवाल पूछने की आदत विकसित करने पर जोर दिया है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि भारतीय बहुत जल्दी किसी व्यक्ति को आदर्श मान लेते हैं और उसे प्रतीक बना देते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में सवाल पूछने की प्रवृत्ति विकसित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन की अपरिहार्यता एक मिथक है।

दीर्घायु की सीमा पहले ही निर्धारित है

उन्होंने कहा, यह विचार सही नहीं है कि आपके बिना चीजें नहीं चल सकतीं। बकौल उपराष्ट्रपति धनखड़, 'ईश्वर ने आपकी दीर्घायु की सीमा पहले ही निर्धारित कर दी है। इसलिए, उन्होंने यह भी तय कर दिया है कि आप अपरिहार्य नहीं हो सकते।'


हम बहुत जल्दी किसी को आदर्श बना देते हैं

उपराष्ट्रपति धनखड़ हरियाणा के गुरुग्राम में एक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, हमारे देश में यह बहुत ही सरल बात है। हम बहुत जल्दी किसी को आदर्श बना देते हैं। हम कभी नहीं पूछते कि वह महान वकील क्यों है, वह महान नेता क्यों है, वह महान डॉक्टर क्यों है, वह महान पत्रकार क्यों है? हम बस इन बातों को मान लेते हैं।

कोई भी जीवित प्राणी तब तक आपके सम्मान का हकदार नहीं है जब तक...

धनखड़ ने कहा, 'आपको सवाल पूछना चाहिए।' उन्होंने युवाओं से खुद पर विश्वास करने की अपील की और कहा, कोई भी जीवित प्राणी तब तक आपके सम्मान का हकदार नहीं है जब तक आप उनमें गुण नहीं देखते। चापलूस या पाखंडी बनने की इच्छा कभी नहीं होनी चाहिए।

भारत के पास सर्वोत्तम मानव संसाधन और नौकरशाही

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देश की नौकरशाही की क्षमता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत के पास सर्वोत्तम मानव संसाधन और नौकरशाही है, जो सही ढांचे में सही कार्यपालिका के नेतृत्व में कोई भी परिवर्तन ला सकती है। बता दें कि उपराष्ट्रपति धनखड़ राज्यसभा के सभापति भी हैं।

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