भगवान जगन्नाथ की 'बहुड़ा यात्रा' शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

By :  vijay
Update: 2025-07-05 06:58 GMT
भगवान जगन्नाथ की बहुड़ा यात्रा शुरू, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
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भगवान जगन्नाथ की 'बहुड़ा' यात्रा या वापसी रथ उत्सव शनिवार को औपचारिक 'पहांडी' रस्म के साथ शुरू हुआ। इस दौरान मूर्तियों को श्री गुंडिचा मंदिर से सारधाबली में खड़े रथों तक औपचारिक जुलूस के रूप में ले जाया गया।अधिकारियों ने बताया कि बाहुड़ा यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हालांकि 'पहांडी' रस्म दोपहर 12 बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन यह सुबह 10.30 बजे शुरू हुई, जिसके दौरान त्रिदेवों- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को एक-एक करके रथों तक ले जाया गया। भव्य रथों - तलध्वज (बलभद्र), दर्पदलन (सुभद्रा) और नंदीघोष (जगन्नाथ) को श्रद्धालु श्री गुंडिचा मंदिर से भगवान जगन्नाथ के मुख्य स्थान, 12वीं शताब्दी के मंदिर तक खींचकर ले जाएंगे, जिसकी दूरी लगभग 2.6 किलोमीटर है।

गौरतलब है कि 27 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हुई थी। इसके दो दिन बाद 29 जून को गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ मच गई थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी और करीब 50 लोग घायल हो गए थे। इस भगदड़ को ध्यान में रखते हुए बहुड़ा यात्रा के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने बहुदा यात्रा के शुभ अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं।

मंगला आरती और मैलम जैसे अनुष्ठान किए गए

घंटों और शंखों और झांझों की ध्वनि के बीच सबसे पहले चक्रराज सुदर्शन को श्री गुंडिचा मंदिर से बाहर निकाला गया और देवी सुभद्रा के 'दर्पदलन' रथ पर बैठाया गया। श्री सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्र अस्त्र है, जिनकी पूजा पुरी में भगवान जगन्नाथ के रूप में की जाती है। श्री सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे। भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा को सेवकों द्वारा 'सूर्य पहांडी' नामक विशेष जुलूस में उनके 'दर्पदलन' रथ पर लाया गया। अंत में, भगवान जगन्नाथ को उनके रथ नंदीघोष पर लाया गया। पहांडी से पहले, मंदिर के गर्भगृह से पीठासीन देवताओं के बाहर आने से पहले 'मंगला आरती' और 'मैलम' जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान किए गए।

परंपरा के अनुसार, देवताओं को उनके रथों पर बैठाने के बाद, दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच गजपति दिव्यसिंह देब द्वारा 'छेरा पहनरा' (रथों की सफाई) की रस्म निभाई जाएगी, जिसके बाद शाम 4 बजे कार्यक्रम के अनुसार रथों को खींचा जाएगा। हालांकि, यह रस्म तय समय से पहले भी की जा सकती है। इस बीच, भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक बहुड़ा यात्रा देखने के लिए लाखों श्रद्धालु तीर्थ नगरी पुरी में उमड़ पड़े हैं।

पुलिस के 6000 और सीएपीएफ के 800 जवान तैनात

एक अधिकारी के अनुसार, मंदिर शहर में पुलिस के 6,000 और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के 800 जवान तैनात किए गए हैं। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भगदड़ जैसी कोई घटना दोबारा न हो। उन्होंने बताया कि मौसम अनुकूल होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है, जिसके चलते विशेष यातायात व्यवस्था भी की गई है।

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