एक देश-एक चुनाव' पर सुझाव लेने के लिए लॉन्च होगी वेबसाइट, संसदीय समिति ने सुना पूर्व CJI का विचार
संसदीय समिति ने 'एक देश-एक चुनाव' से जुड़े विधेयकों पर सुझाव आमंत्रित करने के लिए जल्द एक वेबसाइट लॉन्च करने की घोषणा की है। संविधान (133वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति के अध्यक्ष भाजपा नेता पी.पी. चौधरी ने कहा कि समिति पूरी पारदर्शिता से काम कर रही है और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर किसी को एक साथ चुनाव के मुद्दे पर अपने विचार साझा करने का मौका मिले।
विज्ञापन जारी देशभर से मांगे जाएंगे सुझाव: पी.पी. चौधरी
चौधरी ने कहा कि समिति ने इस मुद्दे पर भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन के विचार भी सुने हैं। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्यों के सामने वेबसाइट का प्रेजेंटेशन किया गया था। समिति एक विज्ञापन भी जारी करेगी, जिसमें देशभर में एक साथ चुनाव कराने को लेकर सुझाव मांगे जाएंगे। उन्होंने कहा कि 1952 से 1967 तक देशभर में चुनाव एक साथ आयोजित किए गए थे, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया बंद हो गई। 1980 के दशक से एक साथ चुनाव कराने की मांग उठी है।
चरणबद्ध तरीके से लागू हो 'एक देश-एक चुनाव' : पूर्व सीजेआई यू.यू. ललित
पिछले महीने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर कहा था कि यह एक अच्छा विचार है, लेकिन इसे एक साथ नहीं, बल्कि चरणबद्ध तरीके से लागू किय जाना चाहिए। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार रखे थे।
पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव
1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। लेकिन 1968-69 में विधानसभाओं के असमय भंग होने और 1970 में चौथी लोकसभा के भंग होने के कारण यह प्रक्रिया बाधित हुई। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने लगे।