यमराज-यमुना मंदिर: जहां भाई-बहन का रिश्ता होता है अमर

Update: 2025-08-08 14:20 GMT
यमराज-यमुना मंदिर: जहां भाई-बहन का रिश्ता होता है अमर
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 यमराज-यमुना मंदिर: जहां भाई-बहन का रिश्ता होता है अमर

**मथुरा।** रक्षाबंधन के पावन अवसर पर आज हम आपको ऐसे मंदिर के दर्शन कराते हैं, जो दुनिया में अपने आप में अनोखा है। यह मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता को भी अमर बनाता है। मथुरा के विश्राम घाट पर स्थित **"श्री यमुना-धर्मराज मंदिर"** ऐसा एकमात्र मंदिर है, जहां **यमराज और उनकी बहन यमुना** की संयुक्त रूप से पूजा होती है।

### पौराणिक आस्था से जुड़ी मान्यता

मान्यता है कि जो भाई-बहन इस मंदिर में एक साथ दर्शन करते हैं और यमुना नदी में स्नान करते हैं, उन्हें **जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति** मिलती है। यह परंपरा **सूर्य देव की संतान** यमराज और यमुना (यमी) की कथा से जुड़ी है। कथा के अनुसार यमुना अपने भाई से मिलने गोलोक जाया करती थीं। एक दिन यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा, तो यमुना ने वरदान मांगा कि जो भी भाई-बहन यमुना में स्नान कर इस मंदिर के दर्शन करें, उन्हें यमलोक न जाना पड़े। यमराज ने यह वरदान स्वीकार किया और तभी से यह स्थान भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक बन गया।

### रक्षाबंधन और भाई दूज पर विशेष महत्व

इस मंदिर में साल भर श्रद्धालु आते हैं, लेकिन **रक्षाबंधन और भाई दूज** पर यहां **विशेष भीड़** उमड़ती है। इन दोनों पर्वों पर हजारों भाई-बहन मंदिर में दर्शन कर यमुना में डुबकी लगाते हैं।

### मंदिर की खास प्रतिमाएं

मंदिर में यमराज और यमुना जी की **चतुर्भुज प्रतिमाएं** विराजमान हैं।

* यमराज जी प्रसन्न मुद्रा में, आशीर्वाद देते हुए दिखाई देते हैं।

* यमुना जी के हाथों में भोजन की थाली, कमल का फूल, तिलक लगाने की मुद्रा और आशीर्वाद देने वाला हाथ दर्शनीय हैं।

### दर्शन का समय

* मंदिर सुबह **5 बजे** खुलता है और दोपहर में कुछ समय के लिए बंद हो जाता है।

* शाम को यह फिर से **4 बजे** खोला जाता है।

* **गर्मियों में रात 8 बजे** और **सर्दियों में 7:30 बजे** मंदिर बंद हो जाता है।

### विश्राम घाट का ऐतिहासिक महत्व

यह मंदिर मथुरा के प्रसिद्ध **विश्राम घाट** पर स्थित है। मान्यता है कि **भगवान श्रीकृष्ण** ने कंस वध के बाद यहीं विश्राम किया था, इसलिए इसे विश्राम घाट कहा गया।

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**यह मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की आत्मिक गहराई और उसकी सनातन महिमा को भी जीवंत करता है।** रक्षाबंधन के दिन यहां दर्शन करने से रिश्तों में और अधिक मिठास और आशीर्वाद का संचार होता है।

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