जैसे-जैसे उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसका असर जनजीवन के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर भी साफ दिखाई देने लगा है। लखनऊ में बीते कुछ दिनों से रात और सुबह के समय बढ़ती गलन ने मौसम की गंभीरता का अहसास करा दिया है। इसी के साथ शहर के प्रमुख मंदिरों में एक अनोखी और भावनात्मक परंपरा भी देखने को मिली, जिसमें देवताओं की मूर्तियों को सर्दी के अनुसार गर्म वस्त्र पहनाए गए।कई प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों ने दर्शन करते समय देखा कि बजरंगबली, शनि देव को स्वेटर, ऊनी शॉल, मफलर और गरम अंगवस्त्रों से सजाया गया था। यह दृश्य न केवल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना, बल्कि उनमें एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति भी जाग्रत कर गया।
सेवा ही सबसे बड़ी भक्ति”- पुजारी
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि देव प्रतिमाओं की सेवा करना हिंदू परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। जैसे जीवन में ऋतु परिवर्तन होता है, वैसे ही देवताओं की सेवा में भी मौसम के अनुसार बदलाव किए जाते हैं। हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामअवतार शर्मा ने बताया कि जब मौसम बदलता है तो प्रभु के वस्त्र, आसन और श्रृंगार भी उसी अनुसार बदले जाते हैं। यह केवल परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा और प्रेम की अभिव्यक्ति है। ठंड में जैसे हम अपने बच्चों को स्वेटर पहनाते हैं, ठीक वैसे ही प्रभु की सेवा की जाती है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जल्दी ठंड आने और तापमान में अचानक गिरावट को देखते हुए पहले ही दिन मोटे ऊनी वस्त्रों की व्यवस्था कर ली गई थी।