100 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, दान-पुण्य से मिलेगा लाभ

Update: 2025-08-22 08:35 GMT

पितृ पक्ष का पर्व इस बार बेहद विशेष होने जा रहा है। 100 वर्षों में पहली बार श्राद्ध पक्ष की शुरुआत और समापन ग्रहण के साथ होगा। भाद्र मास की शुक्ल पूर्णिमा पर 7 सितंबर की रात को चंद्र ग्रहण पड़ेगा, जबकि 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह संयोग पूर्वजों की शांति और घर-परिवार में सुख-समृद्धि लाने वाला है।

ग्रहण से बढ़ेगा दान-पुण्य का महत्व

ज्योतिर्विदों का कहना है कि पितृ पक्ष में ग्रहण लगना शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान किए गए दान, तर्पण, मंत्र जाप और संकल्प का फल कई गुना अधिक मिलता है। चंद्र ग्रहण के दिन स्नान, तर्पण और मंत्र-जप से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और पितृदोष शांत होता है।

श्राद्ध तिथियों में बदलाव

इस बार तिथि क्षय के कारण सोलह दिनी श्राद्ध पक्ष पंद्रह दिन का होगा। तृतीया और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन 10 सितंबर को होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 7 सितंबर को दोपहर 12.56 बजे से लगेगा, इसलिए उस दिन सभी श्राद्ध कर्म दोपहर पूर्व ही संपन्न करने होंगे।

चंद्र और सूर्य ग्रहण का समय

चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9.56 बजे से शुरू होकर रात 1.27 बजे तक चलेगा। वहीं, सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को रात 10.59 बजे से शुरू होकर सुबह 3.23 बजे तक रहेगा। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक प्रभाव भी नहीं होगा।

आध्यात्मिक महत्व

ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस दुर्लभ संयोग में किए गए श्राद्ध, दान और पूजन से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि घर-परिवार में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है।

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