Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि कब है? सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा शुभारंभ

Update: 2025-03-15 22:40 GMT

हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जो साल में चार बार मनाई जाती है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और यह समय शक्ति, समृद्धि, और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति का होता है। इनमें से चैत्र माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है, और यह वर्ष का पहला नवरात्रि पर्व होता है। यह विशेष रूप से मां दुर्गा की उपासना और भक्ति का समय होता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इसी क्रम में आइए जानते हैं कि इस बार चैत्र नवरात्रि कब से कब तक रहेगी। साथ ही जानते हैं कलश स्थापना के मुहूर्त के बारे में भी।


 

चैत्र नवरात्रि 2025 की आरम्भ और समापन तिथि

2025 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025 को होगी। यह प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04:27 बजे से शुरू होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। इस दौरान कलश स्थापना या घट स्थापना का महत्व होता है, जो नवरात्रि पूजा का शुभारंभ माना जाता है।

 

कलश स्थापना (घटस्थापना) मुहूर्त

मुहूर्त: 30 मार्च 2025, सुबह 06:13 बजे से 10:22 बजे तक

अभिजित मुहूर्त (घटस्थापना): 30 मार्च 2025, दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक

इन मुहूर्त के दौरान पूजा और कलश स्थापना की जाती है। कलश स्थापना का कार्य घर में शांति, समृद्धि और सुख के लिए किया जाता है, और यह पूरे नवरात्रि पूजा का आधार बनता है।

 

चैत्र नवरात्रि 2025 का 9 दिनों का पूजा कैलेंडर

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। प्रत्येक दिन एक देवी का पूजन किया जाता है, और हर देवी के स्वरूप में अलग-अलग प्रकार की शक्ति और आशीर्वाद समाहित होते हैं।

दिन तिथि वार देवी पूजा

प्रतिपदा 30 मार्च 2025 रविवार मां शैलपुत्री

द्वितीया 31 मार्च 2025 सोमवार मां ब्रह्मचारिणी

तृतीया 1 अप्रैल 2025 मंगलवार मां चंद्रघंटा

चतुर्थी 2 अप्रैल 2 बुधवार मां कूष्मांडा

पं3 3अप्रैल 2025 गुरुवार मां स्कंदमाता

षष्ठी4 4 अप्रैल 2025 शुक्रवार मां कात्यायनी

सप्तमी 5 अप्रैल 2025 शनिवार मां कालरात्रि

अष्टमी 6 अप्रैल 2025 रविवार मां महागौरी

नवमी 7 अप्रैल 2025 सोमवार मां सिद्धिदात्री

 

चैत्र नवरात्रि में होती है कौन सी पूजा

कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित कर पूजा की शुरुआत की जाती है। यह पूजा घर में शांति और समृद्धि लाने के लिए की जाती है।

ब्रह्म मुहूर्त स्नान के बाद अनुष्ठान की शुरुआत करें, और स्वच्छता तथा पवित्रता का ध्यान रखें।

एक बर्तन लें और उसमें मिट्टी डालकर उसे पानी से गीला करें। यह मिट्टी उर्वरता और विकास का प्रतीक है।

मिट्टी में जौ के बीज बोएं, जो घर में समृद्धि और विकास का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जौ के ऊपर एक मिट्टी का कलश रखें। कलश प्रचुरता और दिव्यता का महत्वपूर्ण प्रतीक है।

कलश को गंगा जल से भरें।

कलश के जल में सुपारी, एक सिक्का और फूल डालें।

कलश के ऊपर एक मिट्टी का कटोरा रखें, जिसे अक्षत (अखंडित चावल के दाने) से भरा गया हो।

कलश के सामने देवी की प्रतिमा स्थापित करें।

पूजा को पूरे वैदिक अनुष्ठानों के अनुसार करें, जिसमें मंत्रों का जाप, फूल, फल और धूप चढ़ाना शामिल है।

नवरात्रि के सभी नौ दिनों तक इस पूजा का क्रम बनाए रखें, जिसमें हर दिन प्रसाद और प्रार्थना की जाती है। नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान राम की पूजा के लिए है, और इसे नवरात्रि का समापन माना जाता है।

नवरात्रि के आखिरी दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं। यह भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।

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