गृहप्रवेश के समय दुल्हन क्यों गिराती है चावल का कलश? जानें इसके पीछे का खास कारण

Update: 2025-11-25 10:44 GMT

इस समय शादियों का सीजन पूरे जोरों पर है. चारों तरफ बैंड-बाजा, सजे हुए मंडप और बारातों की रौनक दिखाई दे रही है. नवंबर से फरवरी तक का समय हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ विवाह मुहूर्तों का मौसम माना जाता है. वहीं, हिंदू धर्म में विवाह केवल दो लोगों का मिलन नहीं है, बल्कि दो परिवारों, परंपराओं और रीति रिवाजों का गहरा संगम होता है.

इसमें निभाई जाने वाली हर रस्म, हर रीति के पीछे कोई न कोई गहरा अर्थ छुपा हुआ है. इन्हीं में से एक रस्म या रीति रिवाज है- गृहप्रवेश की रस्म. गृहप्रवेश की रस्म में दुल्हन अपने पैरों से चावल का कलश गिराती है और अपने ससुराल में प्रवेश करती है. लेकिन, ये बहुत बड़ा सवाल है कि क्यों दुल्हन गृहप्रवेश के समय चावल का कलश गिराती है? जानें इसके पीछे का विशेष कारण.

गृहप्रवेश की रस्म में चावल का कलश गिराने की परंपरा

परंपरानुसार, जब दुल्हन विवाह के बाद पहली बार अपने ससुराल में कदम रखती है, तो यह केवल एक नई जगह में प्रवेश नहीं, बल्कि एक नए जीवन, नई जिम्मेदारियों और नए संबंधों की शुरुआत होती है. इसी मौके पर जो सबसे प्रमुख रस्म निभाई जाती है, वह है चावल से भरे कलश को पैर से आगे गिराना.

दुल्हन जब अपने दाहिने पैर से चावल से भरा कलश गिराकर घर में प्रवेश करती है, तो इसका अर्थ होता है कि वह घर में अन्न, लक्ष्मी और सौभाग्य लेकर आ रही है. यह संकेत होता है कि उसके आगमन से घर अब पूर्ण हो गया है जैसे माता लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं, वैसे ही नई बहु अपने नए परिवार में शुभता और संपन्नता लेकर आती है.

दुल्हन होती है मां लक्ष्मी का प्रतीक

परंपरा के अनुसार, इस रस्म में चावल और कलश को समृद्धि और धनधान्य का प्रतीक माना जाता है. इसलिए, यह इस बात का प्रतीक है कि जिस घर में नई दुल्हन प्रवेश करती है, वहां अन्न, धन और सुख-समृद्धि कभी खत्म न हों. इस प्रकार चावल का कलश गिराना केवल एक रस्म नहीं होता है, बल्कि दुल्हन के गृहलक्ष्मी स्वरूप का सम्मान और समृद्धि के आगमन का मंगल प्रतीक होता है.

जानें रस्म का महत्व

हिंदू धर्म में गृह प्रवेश के समय दुल्हन द्वारा पैर से चावल का कलश गिराने की परंपरा बहुत प्राचीन है. आम दिनों में अन्न को पैर से छूना अशुभ समझा जाता है, लेकिन इस अवसर पर यही कर्म शुभ फलदायी होता है. जब नई बहू गृह प्रवेश के दौरान अपने दाहिने पैर से चावल से भरे कलश को हल्के से ठोकर मारती है, तो यह संकेत होता है कि वह अपने साथ मां लक्ष्मी का आगमन करा रही है. शास्त्रों के अनुसार, स्त्री को देवी का स्वरूप माना गया है, और इसलिए उसके शुभ कदमों को सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का कारक माना जाता है. 

Similar News