ब्रेस्ट कैंसर का असर महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर कैसे पड़ता है? बचाव के लिए क्या करें
आज के दौर में ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है. पहले यह बीमारी ज्यादातर 40 से 50 वर्ष की महिलाओं में देखी जाती थी, लेकिन अब कम उम्र की महिलाओं में भी इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यह सिर्फ एक शारीरिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करती है. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह घातक साबित हो सकती है. ऐसे में इस बीमारी को लेकर जागरूक रहना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं, यह कैंसर कैसे होता है.
ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट के सेल्स तेजी से बढ़ने लगते हैं और ट्यूमर यानी गांठ का रूप ले लेते हैं. यह कई कारणों से हो सकता है, जैसे कि जेनेटिक कारण, हॉर्मोनल इम्बैलेंस, अनहेल्दी खानपान, खराब लाइफस्टाइल, शराब का सेवन, मोटापा, रेडिएशन और केमिकल एक्सपोजर के कारणों से ब्रेस्ट कैंसर की समस्या हो सकती है. आइए जानते हैं, ब्रेस्ट कैंसर का असर मेंटल हेल्थ पर कैसे पड़ता है.
ब्रेस्ट कैंसर और मेंटल हेल्थ
फोर्टिस अस्पताल साइको-ऑनकोलॉजिस्ट आरुषि सलूजा बताती हैं कि ब्रेस्ट कैंसर का सिर्फ शरीर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है. कैंसर का पता चलते ही व्यक्ति का मानसिक तनाव बढ़ जाता है. उसे अपनी जिंदगी और भविष्य की चिंता सताने लगती है. ब्रेस्ट कैंसर के दौरान होने वाली सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी जैसे कठिन ट्रीटमेंट मानसिक रूप से व्यक्ति को थका देते हैं.
ट्रीटमेंट के दौरान बाल झड़ना, वजन बढ़ना या घटना, शरीर की एनर्जी का कम होना और सर्जरी के कारण शरीर में बदलाव होने जैसी समस्याएं मानसिक रूप से परेशान कर सकती हैं. ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स के कारण कई मरीजों को नींद नहीं आती, जिससे मानसिक और शारीरिक कमजोरी बढ़ जाती है. मरीजों में निराशा, चिंता और डर की भावना आ जाती है, जिससे डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्या बढ़ सकती है.
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
ब्रेस्ट में गांठ बनना: ब्रेस्ट कैंसर का सबसे मुख्य लक्षण ब्रेस्ट में गांठ बनना है. यह बढ़ सकती है और दर्द भी कर सकती है. इसे नजरअंदाज न करें.
ब्रेस्ट का आकार: एक ब्रेस्ट का आकार असामान्य रूप से बढ़ना या घटना ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है.
निप्पल में बदलाव: ब्रेस्ट कैंसर के कारण निप्पल अंदर की ओर धंस सकते हैं या उनका आकार बदल सकता है. इसके अलावा निप्पल से ब्लड या बिना ब्लड का डिस्चार्ज भी हो सकता है.
त्वचा में बदलाव: ब्रेस्ट की त्वचा लाल, मोटी या सिकुड़ी हुई लग सकती है. इसे ऑरेंज पील लुक कहा जाता है.
बचाव के तरीके
महीने में एक बार ब्रेस्ट की जांच करें. अगर असामान्य बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
हरी सब्जियां, ताजे फलों, नट्स और फाइबर युक्त फूड्स को डाइट में शामिल करें. अल्कोहल, धूम्रपान और जंक फूड से बचें.
रोजाना कम से कम 30 मिनट योग, वॉक या एक्सरसाइज करें. इससे हॉर्मोनल बैलेंस रहेगा और मोटापा कम होगा.
मानसिक तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, योग या गहरी सांस लेने के तरीकों को अपनाएं. अगर तनाव ज्यादा हो रहा है, तो किसी काउंसलर या थेरेपिस्ट से बात करें.