क्यों अब कम उम्र में लड़कियों के पीरियड्स शुरू हो जाते हैं? एक्सपर्ट्स से जानें
आजकल कम उम्र की लड़कियों में पीरियड्स आने की समस्या बढ़ती जा रही है. पहले के समय में लड़कियों को 12-14 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू होते थे, लेकिन अब 9-10 साल की उम्र में ही आने लगे हैं. ऐसे में माता-पिता के मन में चिंता होती है कि क्या यह कोई बीमारी है? 9 से 10 साल की उम्र में पीरियड्स क्यों आ रहे हैं इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं.
ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की डॉ. इला गुप्ता बताती हैं कि आजकल लड़कियां घर का खाना छोड़कर बाहर का खाना ज्यादा पसंद करते हैं, जैसे जंक फूड, पैकेज्ड फूड और मीठे पेय पदार्थ. इनमें ऐसे केमिकल होते हैं जो शरीर में हार्मोन को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे पीरियड्स जल्दी आ सकते हैं. मोटापा भी एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. आज मोटापे की वजह से कई बीमारियां तेजी से बढ़ रही है. अनहेल्दी खानपान और खराब लाइफ स्टाइल के कारण कम उम्र में ही इस बीमारी का शिकार बनते जा रहे हैं. कम उम्र के बच्चे ज्यादा वजन वाले होते हैं, उनके शरीर में हार्मोन ज्यादा बनने लगते हैं. इससे पीरियड्स जल्दी शुरू हो सकते हैं.
तनाव और लाइफस्टाइल
आजकल बच्चे पढ़ाई और दूसरे कामों का बहुत ज्यादा तनाव लेने लगे हैं. मानसिक तनाव भी शरीर के हार्मोन को प्रभावित कर सकता है. प्लास्टिक और केमिकल से बनी चीजों का ज्यादा इस्तेमाल हमारे शरीर पर असर डालता है. इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो पीरियड्स जल्दी शुरू होने का कारण बन सकता है.
अनुवांशिक कारण
अगर मां या दादी को जल्दी पीरियड्स आए थे, तो बेटी को भी जल्दी हो सकते हैं. जेनेटिक प्रॉब्लम सबसे अहम होता है. इस वजह से कम उम्र की लड़कियों में पीरियड्स आने की समस्या होने लगी है.
क्या यह कोई बीमारी है?
कम उम्र में पीरियड्स आना कोई बीमारी नहीं है, लेकिन अगर 7-8 साल की उम्र में आ जाएं, तो यह एक मेडिकल कंडीशन हो सकती है, जिसे प्रिकॉशियस प्यूबर्टी (Precocious Puberty) कहा जाता है. इसमें बच्चा जल्दी बड़ा दिखने लगता है, जिससे आगे चलकर हड्डियों और शरीर के विकास पर असर पड़ सकता है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
इस समस्या से ऐसे कर सकते हैं बचाव
इस समस्या से बचाव के लिए सही खानपान और अच्छी लाइफ स्टाइल अपनाने की जरूरत है. बच्चों का खानपान सही रखना आवश्यक है. माता पिता बच्चों को घर का बना पौष्टिक खाना खिलाएं, जिसमें हरी सब्जियां, दाल, फल समेत आदी चीजें शामिल हों. वहीं, जंक फूड, बाहर का तला-भुना और पैकेज्ड खाना से बचना चाहिए. इसके अलावा मानसिक तनाव नहीं लेने की जरूरत है. बच्चों पर पढ़ाई या किसी और चीज का ज्यादा दबाव न डालें. माता पिता उन्हें खुश और रिलैक्स रहने दें.