’ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पेयजल एवं पोषण समिति सदस्यों का प्रशिक्षण सम्पन्न’

Update: 2025-08-02 14:08 GMT

चित्तौडगढ | प्रयास द्वारा सामाजिक सुरक्षा परियोजना के अंतर्गत जिले के चित्तौडगढ विकास खण्ड की उदपुरा, नेतावलगढ पाछली, घटियावली एवं एराल ग्राम पंचायत के 18 गांवों की ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पेयजल एवं पोषण समिति सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन चित्तौड़गढ़ में किया गया। इस प्रशिक्षण में समिति सदस्यों एवं समिति के पदाधिकारीयों सहित 60संभागियों ने भाग लिया।प्रशिक्षण में उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए जिला समन्वयक रामेश्वर शर्मा, प्रयासने संभागियों का स्वागत एवं प्रशिक्षण के उद्देश्यों के बारे में विस्तार जानकारी प्रदान करते हुए गांव में होने वाली बीमारियांे से बचाव के लिए जन जागरूकता, सामुदायिक पहल एवं समिति सदस्यों की सहभागिता आवश्यक है। संस्था द्वारा क्षैत्र में सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं से वंचित एवं पात्र परिवार और व्यक्तियों को योजनाओं से जोड़ने कार्य किया जा रहा है। श्री शर्मा ने ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पेयजल एवं पोषण समिति के गठन, कार्य एवं समिति को सरकार से मिलने वाली निर्बंध राशि (मुक्त निधि) को गांव के स्वास्थ्य के लिए कहां-कहां खर्च कर सकते हैं की जानकारी दी। उन्होने कहा कि प्रशिक्षण पश्चात गांव में जाकर सभी को समझाना है

एवं लोगों में गैर संक्रामक रोगों बीपी शुगर जिससे कि वर्तमान में 60 प्रतिशत से अधिक मौतें हो रही है इसके प्रति जागरूकता लाकर असामयिक होने वाली मौतों पर रोक लगाई जा सकती है। प्रयास निदेशक  छाया पचैली ने सत्र को संबोधित करते हुए गांव में स्वास्थ्य सेवाएं एवं होने वाली बीमारियों और होने के कारणों के बारे में बताया। गांव में गैर संक्रामक रोगों बीपी शुगर की जागरुकता हेतु क्या करेंगे,आंगनवाड़ी एवं उप स्वास्थ्य केंद्र को कैसे मजबूत करेंगे, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पेयजल एवं पोषण समिति को कैसे मजबूत करेंगे के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। लोगों में अंधविश्वास को कैसे समाप्त किया जाए उन्होंने बताया सम्भागीयों से बीमारी के बारे में पूछा गया तो सब ने बीमार पड़ने के अनेकों कारण बताएं लेकिन किसी ने यह कारण नहीं बताया कि कोई बीमारी देवी देवता की नाराजगी या प्रकोप से हुई है फिर सब देवरा पर बीमार को लेकर क्यों जाते हैं। उन्होंने संक्रामक एवं गैर संक्रामक रोगों में अंतर बताते हुए कहा कि पहले शहरों में ही सबसे ज्यादा बीपी एवं शुगर के रोगी होते थे किंतु अब यह रोग गांवों में भी तेजी से फैल रहा है इसके लिए बीपी एवं शुगर के लक्षण, कारण जांच एवं उपचार हेतु विस्तार से बताते हुए कहा कि खान-पान में नमक का ज्यादा उपयोग, बाहर की तली हुई चीजें कचोरी समोसा, खुले मसाले, शराब, तम्बाकू, गुटखा, शारीरिक श्रम में कमी, मोटापा, अत्यधिक तनाव, पर्याप्त नींद की कमी, आयु बढ़ने एवं आनुवंशिक रूप से होने वाली से बीपी शुगर के रोगीयों की संख्या निरंतर बढ़ रही है, इसके बचाव के लिए हमारी जीवन शैली में बदलाव लाकर इन्हें रोका  एवं नियंत्रित जा सकता है साथ ही बताया कि गांव में सभी 30 वर्ष एवं इससे अधिक यु के लोगों की वर्ष में दो बार अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच सुनिश्चित करना होगा ताकि समय पर इन रोगों की रोकथाम व उपचार प्रारंभ हो सके इस कार्य में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता पेयजल एवं पोषण समिति की नियमित बैठक आयोजन एवं ग्राम स्वास्थ्य योजना बना कर कार्य करना है।   राम लाल वेैध गढवाडा ने भी स्वस्थ जीवन के बारे में जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण में क्षैत्र के जन अधिकार प्रहरियो सहित सेक्टर समन्वयक माधवल लाल मेघवाल, रामचंद्र भील, फुलशंकर शर्मा, सीमाकंवर एवं पंकज कुमार गर्ग प्रयास ने सहयोग प्रदान किया।

Tags:    

Similar News