सही लक्ष्य, दृढ़ संकल्प जीवन की सफलता का रहस्य है। मुनि प्रसन्न

राजसमंद| मुनि श्री प्रसन्न कुमार ने धर्म सभा में कहां - इंसान गलती करता है तब पश्चाताप हो जाता है। एक पश्चाताप स्वयं के द्वारा दूसरे के साथ अन्याय हो जाने पर खेद प्रकट करने पश्चाताप करता है। इस में आत्म ग्लानी या प्रायश्चित के भाव आते हैं। पाप के प्रति पश्चाताप (ग्लानि) शुद्धिकरण का पहला उपाय है। क्रूर-द्वेष - भाव ईज्यालू लोगों के पश्चाताप के भाव आते ही नहीं। ऐसे लोग 'धार्मिक तो होते ही नहीं, वेर की परम्परा को बढ़ा देते है।
दूसरा पश्चाताप गलती से अच्छा अवसर हाथ से छूट जाता है तो उस पश्चाताप में दुखीमन हो जाता है। कुछ व्यक्ति गलती का अहसास करते है और वापस पुनरावृति हो स पुनराश इस दृद सकल्प के साथ जागरूकता के साथ सत कार्य के लिए आगे बढ़ते जाते हैं। अपने खोये लक्ष्य को पुनः प्राप्त कर लेते है अब उनको पश्चाताप नहीं होता है
कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं। अव सर चूक गये तो भी गमी पश्चाताप नहीं और अवसर मिल गया तो भी खुशी नहीं । ऐसे मध्यस्थ भावना वाले होते हैं। न गमी-न खुशी का जीवन जीते हैं। जीवन की सच्चाई तो यह है। की जीवन मे उपलब्धियां हासिल कर, ऊंचाई यां प्राप्त करनी है तो सही लक्ष्य का निर्धारण और 'जागरूकता अनिवार्य है। निलक्ष्य जीवन और बिना जागरूकता का जीवन दुखी पश्चाताप का कारण बन जाता है ।