आचार्य भगवंत जैन संघ के राजा होते है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

Update: 2024-10-11 10:45 GMT

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन हो रहा है। आयड़ तीर्थ में 90 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है। शनिवार 12 अक्टूबर को गुरुदेव भव्यवर्धन विजय महाराज की 20वीं स्वर्गतिथि पर आयड़ तीर्थ में सुबह 9.30 बजे गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा।

नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने श्री नवपद की आराधना के तीसरे दिन कहा कि मानो कि जैन शासन एक फाउण्डेशन है तो अरिहंत भगवंत उनके फाउण्डर पर्सन है। साधु-साध्विी, श्रावक-श्राविकाएं इनके मेम्बर्स ओथोरिटी है। आचार्य ने कहां कि जिन शासन की अलौकिकता यह है कि इनके सिद्धांत में कभी भी परितर्वन नहीं हो सकता, सिद्धांतों में परितर्वतन की सत्ता यहां आचार्यों को भी नहीं दी गई है। जिन शासन और जैन शास्त्र समानार्थ शब्द है। जबकि जैन संघ का अर्थ अंतर्गत है। जैन शास्त्र की माने तो वह है जैन संघ जैन संघ के राजा आर्चाय है जैसे जैन शासन के राजा अरिहंत भगवंत है। नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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