पांचवां दिन : साधु पद की आराधना से सिद्धत्व की प्राप्ति होती है : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर

By :  vijay
Update: 2024-10-13 12:50 GMT

 उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं नो दिवसीय नवपद की आयंबिल ओली सामूहिक आयोजन हो रहा है। आयड़ तीर्थ में 90 तपस्वी नवपद की आयंबिल ओली का सामूहिक तप कर रहे है।

नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने श्री नवपद की आराधना के पांचवें दिन नवपद की आराधना के विषय में बताया कि उपाध्याय पद की आराधना हमें विनय की भावना से भर देती है। विनय से ही आत्म जागृति का पथ उजागर होता है। विनय की भावना से अहंकार, घमण्ड का विसर्जन होता है। उपाध्याय पद की आराधना विनय प्राप्ति की आराधना है। विनय हमे लघुता सिरपानी है। आचार्य भगवन्त तीर्थंकर के समान है तो उपाध्याय भगवन गणधर के समान हैं। जब तीर्थकर भगवान केवलज्ञान के बाद अपनी प्रथम धर्म देशना देते है तो उसमें त्रिपदी की देशना देते है। इस त्रिपदी के ऊपर गणधर भगवान् द्वादशांगी की रचना करते हैं। इसी आदर्श अंग के जाता ध्याता उपाध्याय भगवंत होते है। उपाध्याय भगवंत का मुख्य कार्य है ज्ञान दान देना। साधु जीवन मे पाँच प्रहट तक स्वाध्याय करने का विधान है। ज्ञान दान में सदा अप्रभत्त रहते हैं। जिस प्रकार सतत जल के प्रवाह से पत्थर भी टुकड़े हो जाते हैं, उसी प्रकार उपाध्याय भगवान सतत ज्ञान दान से मुर्ख शिष्य को भी पंडित बना देते हैं। शास्त्र में कहा गया है कि जो संयमी को पढ़ाता है और पढ़ता है, उसे तीर्थकर नामकर्म का बन्ध होता है। संयमी की दिनचर्या में सबसे ज्यादा समय स्वाध्याय-पढ़ाई में ही व्यतीत होता है शिष्यों को पठन- पाठन के द्वारा आगे बढ़ाते है. उपाध्याय भगवंत गण समुदाय का ध्यान रखने वाले होते है. सूत्र और अर्थ की बाचना देने वाले होते हैं, सरलता, नम्रता के साक्षात् मूर्तिवान होते हैं, अभिमान और अहंकार के विजेता होते हैं। नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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