आयड़ तीर्थ में महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर विशेष प्रवचन कल से

By :  vijay
Update: 2024-10-27 08:42 GMT

 

उदयपुर  । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि वहीं 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगें।

रविवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने तप की महिमा को बताते हुए कहा कि श्रावक का 18 वां कर्तव्य है जयणा अर्थात् यतना यानि जीन रक्षा के ध्येय से सावधानी पूर्वक प्रवृत्ति करना। साधु जीवन तो संपूर्ण त्याग प्रधान है। पाप प्रवृत्तियों का संपूर्ण त्याग होता है। गृहस्थ जीवन में पाप के बिना चलता नहीं है, परंतु पाप का भय तो उसे सतत रहना ही चाहिए। पाप की प्रवृत्ति कम से कम करने की कोशिश करना और पाप प्रवृत्ति करते समय भी हृदय में पाप का डंक रखते हुए सावधानी रखना उमी का नाम यतना है। जगत् के जीव मात्र के कल्याण की पवित्र भावना यह तीर्थकर की माता है अर्थात् जिस प्रकार माता पुत्र रत्न को जन्म देती है, उसी प्रकार जब अंतरात्मा में जगत के जीव मात्र के कल्याण की भावना पैदा होती है, तब आत्मा तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जित करती है, और उस कर्म के उदय से आत्मा तीर्थकर बनती है।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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