जीवन में सब कुछ मिल जाए यह असंभव, लेकिन इंसान सब कुछ पाने की चाह में भटक रहा : राष्ट्रसंत पुलक सागर

Update: 2025-08-14 19:03 GMT
जीवन में सब कुछ मिल जाए यह असंभव, लेकिन इंसान सब कुछ पाने की चाह में भटक रहा : राष्ट्रसंत पुलक सागर
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उदयपुर  । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। गुरुवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के 26वें दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि गुरुवार को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व सांसद ओंकार सिंह लखावत, राधेश्याम सोनी, भारतीय जैन संघटना उदयपुर के अध्यक्ष दीपक सिंघवी, जनकराज सोनी, दिनेश नागदा, समाजसेवी श्याम नागौरी, सुरेश गुण्देचा रत्नागिरी, जैन जागृति सेन्टर उदयपुर के अध्यक्ष अरुण मेहता, वंदना बाबेल, उमेश मनमानी एवं सूर्य प्रकाश सुहालका उपस्थित थे।

चातुर्मास समिति के परम संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के 26वें दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा दुनिया में आए है, जीवन जिएंगे और दुनिया से विदा हो जाएंगे । जीवन में उतार चढ़ाव आते जाते है । चार शब्द हमें प्राप्त हुए है, वह चार वेद है, मंगल है, उत्तम है, पूरा जीवन उस चार शब्द में है, पूरी दुनिया उसके पीछे भाग रही है और वो चार शब्द है कुछ-कुछ, बहुत कुछ और सब कुछ । दुनिया में ऐसे लोग है जिन्हें कुछ कुछ मिलता है, कुछ ऐसे लोग है जिन्हें बहुत कुछ मिलता है और एक होता है सब कुछ, लेकिन दुनिया में आज तक कोई ऐसा कोई इंसान नहीं है जिसे सब कुछ मिल गया हो । सारी दुनिया जो भाग रही है वो सब कुछ के पीछे भाग रही है लेकिन सब कुछ किसी को मिलता नहीं है और मिलने वाला नहीं है । जिंदगी निकल जाएगी, जीवन कम पड़ जाएगा लेकिन सब कुछ मिलने वाला नहीं है । सिकंदर आया, पृथ्वी पर राज करूंगा । लेकिन उसको भी लौट कर जाना पड़ा । सभी के जीवन में कम से कम एक कमी तो होती है । लेकिन किंतु और परन्तु लगा ही रहता है । दुनिया का गणित सीधा सा गणित है, दुनिया में आए हो कुछ तो मिलता ही है, थोड़ा जोर लगाओ तो बहुत कुछ मिल जाता है और तकदीर साथ दे दे तो बहुत कुछ से भी ज्यादा मिल जाया करता है, लेकिन सब कुछ मिल जाए यह संभव नहीं । आचार्य ने कहा बहु घर की लक्ष्मी है, और बेटी दूसरे घर को रोशन करेगी । बहु से ज्यादा अच्छी बेटी कभी मिल नहीं सकती, वो अपना घर छोड़ कर आती है और जीवन भर तुम्हारा ध्यान रखती है । इसलिए बहु घर की कुलवधू है । आज से ही बहु को बहु समझना शुरू कर दो । आचार्य श्री ने अपने आशीर्वचन में समाज को धर्म, संयम और नैतिक जीवनशैली अपनाने का संदेश दिया। आचार्य श्री की वाणी ने समस्त श्रद्धालुओं को आत्म चिंतन और आत्म कल्याण की प्रेरणा दी।

चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर दोपहर 3 बजे से टाउन हाल में विशेष कार्यक्रम "जश्न ए आजादी" होगा। जिसमें ध्वजारोहण, विशेष प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं आचार्य श्री का विशेष प्रवचन होंगे।

इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रुंडेडा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। 

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