राष्ट्रीय लोक अदालत 14 दिसंबर को
उदयपुर, / राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के तत्वावधान में जिला एवं सेशन न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष श्री ज्ञानप्रकाश गुप्ता उदयपुर के निर्देशन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 14 दिसंबर को होगा। प्राधिकरण सचिव एडीजे कुलदीप शर्मा होने वाली लोक अदालत के तहत विशेष प्रि-लिटिगेशन लोक अदालत का आयोजन कर एसबीआई बैंक के अधिकारियों की बैठक ली। एडीजे ने बताया कि ऐसे प्रकरण जो न्यायालय में लंबित नहीं है लेकिन भविष्य एसबीआई बैंक द्वारा न्यायालय में संस्थित करवाए जा सकते है ऐसे प्रकरणों को 14 दिसम्बर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाते हुए पक्षकारों को समझाकर अधिकाधिक रियायत प्रदान करते हुए निस्तारण करने को कहा। जिससे बैंक के ग्राहको को न्यायालय के चक्कर नहीं लगाने पडे एवं बैंक के समक्ष ग्राहक की साख भी बनी रहे।
एडीजे शर्मा ने बताया कि लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन प्रकरण के तहत धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम, धन वसूली, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित (अशमनीय के अलावा प्रकरण), भरण-पोषण से संबंधित प्रकरण, राजस्व विवाद, पैमाइश एवं डिवीजन ऑफ होल्डिंग सहित, सिविल विवाद, सर्विस मैटर्स, उपभोक्ता विवाद, अन्य राजीनामा योग्य विवाद (जो अन्य अधिकरणों/आयोगों/मंचो/आथाॅरिटी/ प्राधिकारियों के क्षेत्राधिकार से संबंधित) प्रकरणों का निस्तारण किया जा सकेंगी।
वहीं न्यायालय में लंबित प्रकरणों में राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम (एन आई. एक्ट), धन वसूली, एम.ए.सी.टी. के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद एवं कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), पारिवारिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण, सभी प्रकार के सर्विस मैटर्स (पदोन्नति एवं वरिष्ठता विवाद के मामलों के अलावा), सभी प्रकार के राजस्व मामले, पैमाइश एवं डिविजन आॅफ हौल्डिंग सहित, वाणिज्यिक विवाद, बैंक के विवाद, गैर सरकारी शिक्षण संस्थान के विवाद, सहकारिता संबधी विवाद, स्थानीय निकाय (विकास प्राधिकरण/नगर निगम आदि) के विवाद, रियल स्टेट सम्बधी विवाद, रेलवे क्लेम्स संबधी विवाद, आयकर संबधी विवाद, अन्य कर संबधी विवाद, उपभोक्ता एवं विक्रेता /सेवा प्रदाता के मध्य के विवाद, सिविल मामले (किरायेदारी, बंटवारा, सुखाधिकार, निषेधाज्ञा, घोषणा, क्षतिपूर्ति एवं विनिर्दिष्ट पालना के दावेे), अन्रू राजीनामा योग्य ऐसे मामले जो अन्य अधिकरणों/ आयोगों, मंचो/आथाॅरिटी/प्राधिकारियों के समक्ष लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा।