आयड़ महातीर्थ में श्वेताम्बर समाज का संवत्सरी महापर्व 27 को

Update: 2025-08-26 09:23 GMT

उदयपुर । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में कलापूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि मंगलवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व के सातवें दिन सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को संवत्सरी महापर्व पर के आखरी दिन बारसा सूत्र वाचन व सामूहिक क्षमायाचना का आयोजन होगा। जिसमें वर्षभर में जाने-अनजाने में हुर्ह गलतियों पर क्षमा याचना मांगी जाएगी। कल्प सूत्र सुनने के लिए सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन आ रहे है वही पर्युषण के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 8 बजे बारसा सूत्र का वाचन होगा। शाम को 4 बजे प्रतिक्रमण होगा। उसके बाद सभी श्रावक-श्राविकाओं का सामूहिक क्षमायाचना पर्व का आयोजन होगा। आज सातवें दिन साध्वी जयदर्शिता श्रीजी की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण की आराधना-साधना, उपासक का उपक्रम बहुत ही उल्लासमय वातावरण के साथ चल रहा है। श्रावक-श्राविकाओं में परमात्मा भक्ति का अनुपम नजारा दृष्टिगोत हो रहा है तो प्रवचन श्रवण में भी उतना ही उत्साह नजर आ रहा है। नाहर ने बताया कि साध्वियां के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम आयोजित हो रहे है।

मंगलवार को आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने पर्यूषण महापर्व की विशेष विवेचना करते हुए बताया कि इस विश्व में सबसे प्रथम राजा भी जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव बने, सर्वप्रथम साधु भी वहीं बने और सबसे पहली धर्म स्थापना भी उन्हीं भगवंत ने की। अत: जैन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है। जिन शासन किसी से झगडऩे का तो नहीं सिखाता मगर निष्पक्षता से सत्य को ढूंढकर उन्हीं को अपनाने का जरूर सीखता है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, अशोक जैन, अंकुर मुर्डिया, पिन्टू चौधरी, हर्ष खाब्या, गजेन्द्र खाब्या, नरेन्द्र सिरोया, संजय खाब्या, राजू पंजाबी, रमेश मारू, सुनील पारख, पारस पोखरना, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागौरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भंडारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

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