धर्म के बदले में सांसारिक सुख की चाहत नहीं करनी चाहिए : आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर
- आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा
- प्रतिदिन जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन का हो रहा व्याख्यान
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा का चातुर्मास की धूम जारी है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन महाभारत ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।
महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने जैन महाभारत पर आधारित प्रवचन में बताया कि आप कही कोई सेवा करते हो और बदले में यदि वेतन लेते हो तो उसे सेवा नहीं कहा जाता मगरी नोकरी कही जाती है। वैसे ही आप धर्म करते हो और बदले में संसार के सुख धर्म से मांगते हो तो उसे ध्र्मा नहीं कहा जाता, वैसे धर्म को नोकरी ही कहना चाहिए। प्रभु से कुछ भी मांगों, केवल मोक्ष की प्रार्थना करों, उससे शुद्ध पुण्य का बंध होता है।
चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि 3 अगस्त शनिवार के दिन तपागच्छाधिपति आचार्य रामचन्द्र सुरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि निमित गुणानुवाद सभा एवं स्वामीवात्सलय का आयोजन होगा। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन सुबह 9.30 बजे आचार्य हितवर्धन सुरश्वर द्वारा जैन महाभारत पर रोचक प्रवचन हो रहे है। वहीं प्रत्येक रविवार को सुबह 9.30 से 11 बजे तक अलग-अलग समसामायिक विषयों पर आचार्य के प्रवचन हो रहे है।
इस अवसर पर तेजसिंह बोल्या, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा,राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या आदि मौजूद रहे।