संसार के सारे सम्बन्ध स्वार्थ पर निर्भर होते है : साध्वी जयदर्शिता

उदयपुर । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्म योगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सल वारिधि जीत प्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरु अंतेवासी, कलापूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा श्रीजी, जिनदर्शिता श्रीजी व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास की धूम अब चार माह तक जारी रहेगी।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि बुधवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। वहीं सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की। नाहर ने बताया कि कल गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयड़ तीर्थ पर विशेष आयोजन होंगे।
इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने जैन ने प्रवचन में बताया कि चातुर्मास में हम क्या करेंगे क्या हम बाहर पिकनिक में जाएंगे या होटल में जाएंगे या मोबाईल देखने या टीवी देखेंगे नही, नहीं हम ऐसा पाप व प्रमाद छोड़ के समय को सफल बनाएंगे। टाईम इज मनी बोलने वाले भी पूरा दिन क्या कर रहे है वह पता है। अगर नहीं ही है तो पढ़ लिजीए प्रवचन के वाक्य हम को मिले हुए अवसर आयुष अवार, अरोग्य, आज अन्न और आंसु जैसे वापस नहीं आने वाले वैसे समय भी वापस नहीं आने वाला है। तो प्रमाद को छोडक़र पूर्व के पुण्य से मिले हुए और देवों भी जिसको चाहते है ऐसा मानव जीवन में हम को मिलता है। इस संसार में सारे सम्बन्ध स्वार्थ से प्रेरित रहते है और स्वार्थ पर ही निर्भर होते है। आचार्य के प्रवचन में करीब 250 से 300 श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन धर्म लाभ ले रहे है।
इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागौरी, चन्द्र सिंह बोल्या, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भंडारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।