मोबाइल में तस्वीर लेना आसान है, लेकिन जिंदगी में अपनी इमेज बनाना मुश्किल है - पुलक सागर

उदयपुर। सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में राष्ट्रसंत आचार्य श्री पुलक सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास भव्यता के साथ संपादित हो रहा है। शुक्रवार को टाउन हॉल नगर निगम प्रांगण में 27 दिवसीय ज्ञान गंगा महोत्सव के छठे दिन नगर निगम प्रांगण में विशेष प्रवचन हुए। शुक्रवार को नगर निगम प्रांगण में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने आचार्य पुलक सागर महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। उन्होने कहा कि गुरुदेव के दर्शन कर अभिभूत हूं और जहां भी चातुर्मास होता है और वे उस जगह जाते है तो पहले गुरुदेव के दर्शन करते है उसके बाद उनके दूसरे कार्य करते है।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि शुक्रवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, जिलाध्यक्ष भाजपा गजपाल राठौड़, सुंदरलाल भाणावत, मंडल अध्यक्ष विजय आहूजा, कैबिनेट आरएएस ओ.पी. जैन, पूर्व अध्यक्ष यूसीसीआई हंसराज चौधरी, श्री काली कल्याण शक्ति पीठ के गादीपति हेमंत जोशी, पूर्व उपमहापौर लोकेश द्विवेदी, कैट उदयपुर की अध्यक्षा एवं समाजसेवी विजयलक्ष्मी गलुण्डिया, रोटरी क्लब मीरा उदयपुर की पूर्व अध्यक्षा प्रीति सोगानी थे । भक्तिमय मंगलाचरण महावीर चैत्यालय महिला परिषद, सेक्टर 3 ने किया । पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट महावीर वाणावत परिवार ने किया। इस अवसर पर विशेष गुरु-वंदना, बच्चों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया और अपनी कला के माध्यम से गुरु भक्ति को प्रस्तुत किया। मंच पर प्रस्तुत किए गए मंगलाचरण नृत्य एवं भजन में गुरु के जीवन, त्याग, तपस्या और मार्गदर्शन के प्रसंगों को इतनी भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया गया कि पूरा वातावरण भक्ति रस में डूब गया।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी व प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने बताया कि ज्ञान गंगा महोत्सव के छठे दिन आचार्य पुलक सागर महाराज ने कहा अयोध्या एक शाश्वत तीर्थ है, जहां युद्ध का विराम हो उसे अयोध्या कहते है । इसकी रचना किसी इंसानों ने नहीं देवों स्वयं की है । अयोध्या में तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म नाभिराय एवं मरुदेवी के घर में हुआ । मैं तो सर्व समाज से कहूंगा कि जीवन में एक बार अयोध्या एवं सम्मेद शिखर के दर्शन जरूर करना, जीवन धन्य हो जाएगा । महान घरों में महान लोगों का जन्म होना बड़ी बात है । आज के समय में महान पिता का महान पुत्र हो यह कम देखने को मिलता है । जो ख्याति हमारे पूर्वजों ने अर्जित की वह हम अर्पित नहीं कर पाए । एक पिता का कर्तव्य होता है अपने बच्चों को इतना योग्य बनाओ कि तुम्हारा बेटा विद्वानों की सभा में आगे बैठने के योग्य बने । दो चीज होती है व्यक्ति की प्रशंसा और प्रतिष्ठा । प्रशंसा दो क्षण या दो कौड़ी की होती है, लेकिन प्रतिष्ठा लोगो के दिल में होती है, और वह कभी समाप्त नहीं होती है । महिलाओं को देश की मातृ शक्ति छोटी छोटी बातों में खुशियां मिल जाती है, लेकिन पुरुष को जीवन में कभी संतुष्टि नहीं मिलती । दूसरों की जय जयकार के जो रोड़े अटकाता है, उसे कभी जीवन में प्रशंसा नहीं मिलती । किसी की सफलता पर उसकी टांग खींचने की जगह उसकी तारीफ करो, आपको स्वयं अपने जीवन में उपहार स्वरूप मिल जाएगा ।बचपन में ज्ञानार्जन, जवानी में धन अर्जन और बुढ़ापा पुण्य अर्जन के लिए होता है । रात ऐसे बिताओ कि सुबह किसी को मुंह दिखाने में किसी को कोई शर्म महसूस ना हो और दिन ऐसा बिताओ कि रात को चैन की नींद सो सके, और जवानी ऐसी जियो कि बुढ़ापे में किसी के सामने हाथ ना फैलाना पड़े । जाग कर के जियो, बुढ़ापा बिन बुलाया मेहमान है, कितने भी उपाय कर लो, प्लास्टिक सर्जरी करवा लो, मेकअप कर लो, लेकिन बुढ़ापा तो आकर ही रहेगा । बुढ़ापा तो जिंदगी का सुनहरा अध्याय है, जिसमें जीवन के अनुभवों को जीने का अवसर मिलता है । उम्र को छोटी बताने से, झुर्रियों को छुपाने से, नकली बत्तीसी लगाने ने बुढ़ापा नहीं आएगा, इस गलत फहमी में मत रहना, वो आएगा ही आएगा । मोक्ष की यात्रा बुढ़ापे में होती है, धर्म ध्यान बुढ़ापे में होता है । जिस बहु को एक गिलास उठाने में दिक्कत है वह बूढ़ी है, और जो सास इस उम्र में भी घर का सारा काम कर रही है वह जवान है । शरीर बूढ़ा हो जाए लेकिन इंसान को अपना मन हमेशा जवान रखना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि नाभिराय ने अपना मुकुट उतार कर पुत्र ऋषभदेव के सिर पर रख दिया, और आत्म कल्याण करने का निर्णय ले लिया । मैं पुलक सागर यह कहूंगा कि घर के बंटवारे समय पर कर दिया करो, ताकि तुम्हारे बेटों की मरने का इंतजार ना करना पड़े । अपने लिए जीवन में इतना बचा कर रखो कि धर्म ध्यान करने के लिए पैसे की जरूरत पड़े तो अपने बेटों के सामने हाथ ना फैलाना पड़े । हर सफेद चीज काली हो जाया करती है, लेकिन बाल ऐसे अपवाद है जो काले से सफेद हो जाया करते है । मैं पुलकसागर तुमसे यही कहूंगा बालों का संदेश है बुढ़ापे में कि काले काम छोड़ो और सफेद जिंदगी जीना शुरू कर दो। बुढ़ापे में जीवन को सार्थक करने के लिए जीना शुरू कर दो ।
चातुर्मास समिति के पमर संरक्षक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि इस अवसर पर विनोद फान्दोत, राजकुमार फत्तावत, शांतिलाल भोजन, आदिश खोडनिया, पारस सिंघवी, अशोक शाह, शांतिलाल मानोत, नीलकमल अजमेरा, शांतिलाल नागदा सहित उदयपुर, डूंगरपुर, सागवाड़ा, साबला, बांसवाड़ा, ऋषभदेव, खेरवाड़ा, पाणुन्द, कुण, खेरोदा, वल्लभनगर, रूण्डेड़ा, धरियावद, भीण्डर, कानोड़, सहित कई जगहों से हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।