आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा

By :  vijay
Update: 2025-07-13 15:25 GMT
आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही धर्म ज्ञान की गंगा
  • whatsapp icon

उदयपुर, । तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ जैन मंदिर में  जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में कच्छवागड़ देशोद्धारक अध्यात्मयोगी आचार्य श्रीमद विजय कला पूर्ण सूरीश्वर महाराज के शिष्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय कल्पतरु सुरीश्वर महाराज के आज्ञावर्तिनी वात्सलयवारिधि जीतप्रज्ञा महाराज की शिष्या गुरुअंतेवासिनी, कला पूर्ण सूरी समुदाय की साध्वी जयदर्शिता श्रीजी, जिनरसा  , जिनदर्शिता  व जिनमुद्रा श्रीजी महाराज आदि ठाणा की चातुर्मास सम्पादित हो रहा है।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि रविवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे साध्वियों के सानिध्य में विशेष पूजा अर्चना हुई जिसमें गौतम स्वामी की 108 प्रकार की विविध पूजा की एवं मंत्रोच्चारण द्वारा 108 लब्धि कलश भरे, अष्ट प्रकार की पूजा, आरती एवं मंगल दीप का आयोजन हुआ। गौतम स्वामी भगवान महावीर के प्रथम शिष्य थे। वही गुरु गौतम विषय पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वहीं ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने जैन ग्रंथ की पूजा-अर्चना की।

इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वी जयदर्शिता श्रीजी ने जैन ने प्रवचन में बताया कि जैसे पुष्पों का सार गंध है, सुगंध है, दूध का सार घृत है, तिल का सार तेल है। ऐस ही द्वादशांगी रूप जिनवाणी का सार सामायिक है। सामायिक आध्यात्मिक साधना है। सामायिक में मन बाहर भटकता हो, फिर भी साधक को घबराना नहीं चाहिए। वचन से मौन और काया को स्थिर रखते हुए मन को बार-बार राम- स्वभाव में प्रतिष्ठित करने का प्रयास करते रहना चाहिए। सामायिक में प्रत्य शुद्धि, क्षेत्र शुद्ध काल शुद्धि एवं भाव शुद्धि की परम आवश्यकता रहती है।

इस अवसर पर कुलदीप नाहर, भोपाल सिंह नाहर, राजेन्द्र जवेरिया, प्रकाश नागोरी, दिनेश बापना, अभय नलवाया, कैलाश मुर्डिया, चतर सिंह पामेच, गोवर्धन सिंह बोल्या, सतीश कच्छारा, दिनेश भण्डारी, रविन्द्र बापना, चिमनलाल गांधी, प्रद्योत महात्मा, रमेश सिरोया, कुलदीप मेहता आदि मौजूद रहे।

Tags:    

Similar News