जीवन में किसी की मदद करे तो सच्चे दिल से करे- बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी

Update: 2024-09-21 11:46 GMT

उदयपुर। गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज के सान्निध्य में प्रतिदिन वर्षावास के आयोजन की धूम जारी है।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने बताया शनिवार को बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गमेर बाग धाम में बिराजित मूलनायक भगवान की नित्य नियम पूजा-अर्चना की। उसके बाद पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की। वहीं कई श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ से आशीर्वाद लिया। चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि गुरुवार को मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्जवलन, धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत व चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने कहा कि निमित्त बन निर्माण का कार्य करने वाली मै सच्ची सेवाधारी आत्मा हूँ उनके लिये सवेरे नही होते...जो जिन्दगी मे कुछ भी पाने की उम्मीद छोड़ चुके है...उजाला तो उनका होता है...जो बार बार हारने के बाद कुछ पाने कि उम्मीद रखे।

जीवन में किसी की मदद करे तो सच्चे दिल से करे वास्तव मे मदद तो परमात्मा करता है वो तो हमे और आपको सिर्फ निमित्त बनाता है। परमात्मा का निमित्त बनना यानि परमात्मा की विषेश छत्र-छाया की प्राप्ति होना। जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है इसलिए स्वयं को अधिक तनावग्रस्त ना करे, क्योंकि परिस्थिति चाहे कितनी भी खराब हो बदलती जरुर है। हम सोचते है कि भगवान को याद करने से वो मेरा काम कर देगा लेकिन ऐसा नही है। हम भगवान की याद में कोई काम करते है तो वो हमारी शक्ति बढ़ा देता है जो असम्भव कार्यंभी सम्भव हो जाता है।

इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, लक्ष्मी देवड़ा, सीता देवड़ा, जयश्री देवड़ा, अल्का भदावत, लक्ष्मी सिंघवी, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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