दु:खों को कम करना हो तो अतिरिक्त कामों को कम कर दो : बालयोगी मुनि श्रुतधरनंदी

By :  vijay
Update: 2024-09-30 09:40 GMT

 उदयपुर, । जीवन के अंदर सुखशांति का साम्राज्य लाना हो तो अतिरिक्त से मुक्त हो जाना चाहिए। अति से यदि रिक्त हो गए तो आनंदमय हो जाएंगे। जीवन की सारा परिश्रम व भागदौड़ अतिरिक्त के लिए चलती है। अतिरिक्त शौहरतए धन व जायदाद पाने के लिए भागदौड़ करते है। इस अतिरिक्त से यदि रिक्त नहीं होंगे तो ये भागदौड़ समाप्त नहीं होगी ओर जीवन का मैच नहीं जीत पाएंगे। ये विचार गोवर्धन विलास हिरण मगरी सेक्टर 14 स्थित गमेर बाग धाम में श्री दिगम्बर जैन दशा नागदा समाज चेरिटेबल ट्रस्ट एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में गणधराचार्य कुंथुसागर गुरुदेव के शिष्य बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज, मुनि उत्कर्ष कीर्ति महाराज, क्षुल्लक सुप्रभात सागर महाराज ने चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।

सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, महामंत्री सुरेश पद्मावत व चातुर्मास समिति के विजयलाल वेलावत व हेमेन्द्र वेलावत ने संयुक्त रूप से बताया कि इस दौरान आयोजित धर्मसभा में बालयोगी युवा संत श्रुतधरनंदी महाराज ने कहा कि एक सीमा तय होगी तो आगे बढऩे की संभावना कम होगी लेकिन सीमा तय नहीं की तो कभी संतुष्टि नहीं होगी एवं कितना भी मिले वह आपको सुख शांति नहीं दे पाएगा। संतुष्टि का भाव जीवन में आने पर अतिरिक्त से धीरे-धीरे मुक्त होना शुरू होता है। दु:खों को कम करना हो तो अतिरिक्त को कम कर दो। उन्होंने कहा कि दु:खों को कम नहीं करके इच्छाओं को कम करना है। इच्छाएं कम होगी तो दु:ख स्वत: कम हो जाएंगे। आवश्यकता सीमित होने पर दु:ख भी सिमटते चले जाएंगे। सुख शांति के वातावरण में जीना है तो इच्छाओं को कम करें। इच्छाओं को बढ़ाते रहने पर दु:ख भी बढ़ते जाएंगे।

चातुर्मास समिति के महावीर देवड़ा, पुष्कर जैन भदावत, दिनेश वेलावत व कमलेश वेलावत ने बताया सोमवार को बालयोगी युवा संत मुनि श्रुतधरनंदी महाराज के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गमेर बाग धाम में बिराजित मूलनायक भगवान की नित्य नियम पूजा-अर्चना की। उसके बाद पंचामृत अभिषेक एवं शांतिधारा की। वहीं कई श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ से आशीर्वाद लिया। चातुर्मास समिति के भंवरलाल गदावत ने बताया कि मुनिश्री का पाद प्रक्षालन, दीप प्रज्जवलन, धर्मसभा के पूर्व शंतिधारा, अभिषेक, शास्त्र भेंट, चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन जैसे मांगलिक आयोजन हुए। शाम को सभी श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि संघ की आरती की।

इस अवसर पर अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत, विजयलाल वेलावत, पुष्कर जैन भदावत, महावीर देवड़ा, दिनेश वेलावत, कमलेश वेलावत, भंवरलाल गदावत, सुरेश पद्मावत, देवेन्द्र छाप्या, ऋषभ कुमार जैन, भंवरलाल देवड़ा, मंजु गदावत, लक्ष्मी देवड़ा, सीता देवड़ा, जयश्री देवड़ा, अल्का भदावत, लक्ष्मी सिंघवी, सुशीला वेलावत, बसन्ती वेलावत, भारती वेलावत, शिल्पा वेलावत, अल्पा वेलावत सहित सकल जैन समाज के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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