"नवजात पशुओं को उनकी माता का दूध पिलाना सर्वश्रेष्ठ "

Update: 2025-08-06 14:40 GMT

उदयपुर । पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान के डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने संस्थान मे आयोजित "नवजात पशु की मृत्यु दर को नियत्रंण करने विषयक" संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए कहा कि मनुष्यों में ही नहीं, अपितु नवजात पशुओं में भी उनकी माता का दूध पिलाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। मादा पशु के ब्याहने के पश्चात् जो दुग्ध स्त्रावण होता है, उस दूध को "कोलोस्ट्रम" या खीस कहते है। मादा पशु द्वारा कोलोस्ट्रम का स्त्रावण 5-6 दिन तक होता है। नवजात वत्स की मृत्यु दर को नियन्त्रण करने के लिये यह चमत्कारिक औषधी से कम नहीं है। डॉ. छंगाणी ने कहा कि आमजन में व्याप्त भ्रांतियों के कारण अधिकांश पशुपालक इस उपयोगी गुणकारी पोषक तत्व से पशुओं के नवजात वत्सों को वंचित रखते है। अधिकांश पशुपालको का मानना है कि ये कोलोस्ट्रम नवजात के पेट में जाकर जम जाता है और हानि करता है, जबकि वास्तविकता यह है कि यह कोलोस्ट्रम नवजात शिशु के पेट के अंदर जमे प्रथम मल को निकालने में एक प्राकृतिक परगेटिव का कार्य करता है। संकर नस्ल के नवजात में यह देखा गया है कि अगर उन्हें यह "कोलोस्ट्रम" आहार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो उनके अल्प समय में ही मृत्यु होने की संभावना अत्यधिक रहती है। नवजात की शारिरीक वृद्धि के लिए मों का दुध नियत समय तक पिलाया जाना नितान्त आवश्यक है। इस अवसर पर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. पदमा मील ने कहा कि कोलोस्ट्रम में अत्यधिक मात्रा में पाये जाने वाले पोषक तत्त्व एवं रोग प्रतिरोधक तत्व उपस्थित होने से पशुओं को कई गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है।

डॉ. ओमप्रकाश साहू ने बताया कि नवजात को उसके शरीर भार का 10 हिस्से के तुल्य कोलोस्ट्रम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इस अवसर पर पशुपालन डिप्लोमा विद्याथियों ने भी इसके व्यापक प्रचार प्रसार करने पर जोर दिया।

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