उदयपुर, । श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर,होली चौक,बडगांव में मंदिर प्रतिमा पुनर्स्थापना समारोह के तत्वाधान में श्री पुष्कर दास जी महाराज के द्वारा चल रही संगीतमय भागवत कथा के चौथे दिन कृष्ण जन्मोत्सव पर पूरे गांव का उत्साह देखने को मिला। महाराज ने कहा मोह की पकड़ को छोड़ने के लिए पूजा, पाठ किया जाता है l कथा मोह की पकड़ को दूर करती है l कथाओं का श्रवण नित्य करना चाहिए। मन की बीमारी के लिए परमात्मा के नाम का सेवन करना चाहिए । सत्संग किए बिना विवेक की प्राप्ति नहीं हो सकती, श्रावण मास में शिव की पूजा करे पर अहंकार नहीं होना चाहिए। अहंकार सत्संग में बैठने से मिटेगा, भगवान से जुड़ना ही परम भागवत, जहां सत्य हे वही पर ईश्वर है। इसलिए सत्संग कहा गया है, भजन का अर्थ हे जो विभक्त नहीं है। भक्तों ने माना ईश्वर हमारे साथ हे वही भागवत बने । सत्संग का प्याला कान के दोने से पिया जाता हे, जिसने पिया सभी अमर हुए l विष पियेगा वो मरेगा l आगे कहा हम मंदिर,दर्शन,सतसंग करे परंतु हमारी वजह से किसी को कष्ट ना हो वो सही सत्कर्म कहा जाता हे l महाराज ने कहा भागवत की कथा में भगवान विष्णु ने 4 अवतार लिए उसमें से मत्स्य अवतार, कच्छभ अवतार,वराह अवतार,ओर मोहिनी अवतार l इन चार अवतार में से एक अवतार मत्स्य नारायण का आया है l कथा को आगे बढ़ाते हुए भागवत के 24 गुरु की व्याख्या की l महाराज ने बताया ऋषभ देव भगवान भी भागवत से ही निकले l राजा भरत ने एक हिरण के बच्चे के मोह में फसने के कारण अगला जन्म हिरण का पाया l आगे दशम स्कंध की कथा का वर्णन करते हुए कहा वासुदेव जी जैसे ही भगवान कृष्ण को सिर पर धारण किया उनकी बुद्धि पवित्र हुई सभी बेडिया और ताले खुल गए पहरेदार सो गए lकंस तो फिर भी ठीक था जो देवकी के पुत्रो को जन्म लेने के बाद हत्या करता था लेकिन आज के समय में घर घर में ऐसे कंस बेठे जो मां के पेट में ही बच्चियो को मरवा देते है l शास्त्रों में लिखा है ऐसे घर का पानी पीना भी पाप के समान है l कथा में जैसे ही वासुदेव जी बाल कृष्ण को टोपली में लेकर पंडाल में पहुंचे सभी भक्त इस दृश्य को देख हर्ष उल्लास में अपने स्थान पर खड़े होकर झूम उठे l कथा में कृष्ण जन्म धूम धाम से मनाया गया और सभी श्रोता नन्द के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजन पर झूम उठे और बाल कृष्ण लाल के जयकारे लगाए l अंत में व्यासपीठ से सभी भक्तों को महाराज ने बधाई स्वरूप प्रसाद दिया l