उदयपुर । मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज की निश्रा में बडे हर्षोल्लास के साथ चातुर्मासिक आराधना चल रही है।
संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में मरुधररत्न आचार्यदेव रत्नसेनसूरी महाराज की निश्रा में नमस्कार महामंत्र के नौ दिवसीय अखण्ड भाष्य जाप एवं नौ सामुहिक एकासने के साथ नवाह्निका महोत्सव बडे उत्साह से चल रहा है। मंगलवार को महोत्सव के तीसरे दिन नरेन्द्रकुमार, हेमन्त एवं भोपालसिंह सिंघवी परिवार की ओर से 108 पार्श्वनाथ महापूजन का आयोजन किया गया तथा भूतपूर्व अध्यक्ष गौतम मुर्डिया परिवार की ओर से एकासना कराया गया।
पाश्र्वनाथ प्रभु की महिमा बताते हुए जैनाचार्य श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीश्वर महाराज ने कहा कि 24 तीर्थकरों में सबसे लम्बा शासन काल ऋषभदेवस्वामी का रहा और सबसे छोटा शासन काल 23 वें तीर्थकर श्री पार्श्वनाथ प्रभु का रहा है। फिर भी आज सर्वाधिक महत्त्व पार्श्वनाथ प्रभु का माना जाता है। मंगल के लिए स्मरण किये जाते नौ स्मरण स्तोत्र में चार स्तोत्र में विशेष रूप से पाश्र्वनाथ भगवान की स्तवना की गई है। पार्श्वनाथ भगवान का जीवन चरित्र भी खूब पहले प्रेरणादायी है। बुराई के आगे डटकर सामना करते हुए अच्छाई को नहीं छोडने की प्रेरणा उनके जीवन से प्राप्त होती है। जीवन में शांति, मरण में समाधि, परलोक में सद्गति और परंपरा से मुक्ति की प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है पार्श्वनाथ प्रभु की आराधना । भारत भर में अनेक स्थानों पर अनेकविध घटनाओं से श्री पार्श्वनाथप्रभु के मुख रूप से 108 तीर्थ आए हुए है। जावरिया ने बताया कि 10 सितंबर को प्रात: 9.30 बजे प्रवचन एवं तत्पश्चात् अन्तराय कर्म निवारण पूजा का आयोजन होगा।