आयड़ तीर्थ में संवत्सरी महापर्व मनाया, की तप-तपस्या व आराधना

Update: 2024-09-07 11:34 GMT

उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा की निश्रा में पर्वाधिराज महापर्व पर्युषण के आयोजन धूमधाम से जारी है। जिसमें धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की जा रही है।

महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शनिवार को संवत्सरी महापर्व पर आखरी दिन बारसा सूत्र वाचन व सामूहिक क्षमायाचना का आयोजन हुआ। जिसमें वर्षभर में जाने-अंजाने में हुर्ह गलतियों पर क्षमायाचना मांगी जाएगी। इस दौरान श्रावक-श्राविकाओं ने धर्म-ध्यान, पूजा, पाठ, सामायिक, तप व तपस्या आदि की उसके बाद सभी एक-दूसरे से मिच्छामी दूक्कडम कहते हुए क्षमायाचना मांगी। शनिवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व तहत आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नाहर ने बताया कि आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा के सान्निध्य में आठ दिन तक सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं प्रतिदिन सुबह व्याख्यान, सामूहिक ऐकासणा व शाम को प्रतिक्रमण तथा भक्ति भाव कार्यक्रम हुआ। इस दौरान गुजरात, मुम्बई से चौमासा करने आए आराधकों का बहुमान किया गया। 20 अट्ठाई एवं 100 से अधिक अट्ठम तप आयड़ तीर्थ में हुए। सभी का सामूहिक पारणा रविवार 8 सितम्बर को आयड़ तीर्थ में होगा।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि शनिवार को संवत्सरी पर्व पर आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने कहां किक्षमा की पूर्ण प्रतिष्ठा हमारे अन्तकरण के अंधकार को दूर कर देती है, आत्म प्रकाश फैला देती है। आज का दिन वर्ष में एक बार आने के कारण संवत्सरी या सांवत्सरिक के नाम से प्रचलित है। आज पर्युषण महापर्व की पूर्णाहुति है। आज का पर्व क्षमा की विशेषता पर आधारित है। क्षमा शब्द का अर्थ है- जाने-अनजाने यदि मन-वचन-काया से किसी प्रकार की कोई त्रुटि हुई हो तो उसके विषय में माफी मांगना। भगवान महावीर का कथन है कि जीवन में विवेक की कमी होने पर दुर्घटना घटती है अपराध होता है, त्रुटि होती है। हमें हमारी सारी क्रियाएं विवेकपूर्वक होनी चाहिए, प्रमाद रहित होनी चाहिए।

इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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