महाभारत पर प्रवचन श्रंखला की धूम, आयड़ तीर्थ पर हुई अष्ट मंगल की पूजा
उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महाभारत के हर एक किरदार ने समाज को क्या दिशा निर्देश दिया उसके बारे में विस्तार से व्याख्या कर श्रावकों का मन मोह लिया है। इस अवसर पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने महाभारत पर आधारित चातुर्मासिक प्रवचन कहां कि ईष्र्या कोई भी व्यक्ति करें ईष्र्या की तीन पैदावार तो होती ही है। पहली - ईष्र्या करने वाला मन से हार जाता है। ईष्र्या करने वाला मन से अधीर बन जाता है। आग बढऩे की उनकी ताकत कम हो जाती है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि शुक्रवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह ७ बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। २२ सितम्बर को आयड़ तीर्थ पर गीत-संगीत की मधुर स्वर लहरियों के साथ सम्मेद शिखर तीर्थ की भावयात्रा का आयोजन होगा। इस दौरान चातुर्मास संयोजक अशोक जैन व प्रकाश नागौरी सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने महाभारत पर आयोजित प्रवचन श्रंखला का श्रवण किया।